**राधास्वामी!! 11-02-2021- आज सुबह सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) सतगुरु खोजो री प्यारी। जगत में दुर्लभ रतन यही।।-( ) (सारबचन-शब्द-चौथा-पृ.सं.261,262)
(2) सुरत हुई मगन दरस गुरु पाय।।टेक।। बचन सुन सीतल हुई मन में। भेद पाय सुर्त शब्द लगाय।।-(साँरग मुरली बीन बजावत। राधास्वामी सन्मुख आरत गाय।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-55-पृ.सं.404)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज
- भाग-1- कल से आगे:-( 26)-
हुजूर ने फरमाया क्या आप साहबान को हुजूर साहब जी महाराज की यह बात याद है या नहीं जिसकी आँ हुजूर( पूज्य गुरु महाराज) ने कई बार सत्संग में फरमाया कि सन 1939 व 1940 बड़े नाजुक साल है। इन सालो में मुल्क के अंदर अशांति फैलेगी और तरह तरह के खतरे मुसीबत पैदा होंगी। इस आधार पर यदि मैंने एक दो दफा इस माह के शुरू या गत माह के आखीर में इशारा किया और एक बार साफ शब्दों में इस बारे में जिक्र करके इस तरफ आपकी तवज्जह दिलाई तो मेरा ऐसा करना उचित व दुरुस्त था।
कुछ सज्जनों ने मेरी इस बात को सिर्फ हँसी समझा। मुझे उनके ढंग पर बिल्कुल अफसोस नहीं है। मेरा निवेदन तो इस बारे में सिर्फ इस कदर है कि अगर किसी तरह या किसी जरिये से हमको किसी ऐसी बात का इल्म हो जाय जिसका हमारे साथ गहरा वास्ता है या जिसमें हम सबको दिलचस्पी है तो फिर ऐसी सूरत में मुनासिब कार्यवाही अमल में न लाना या खतरा मालूम हो जाने पर उसके दूर करने का प्रबंध न करना बुद्धिमानी और दूरदर्शिता नहीं है।
आम बोली में ऐसे दिमाग के बारे में यही कहा जावेगा कि उसके अंदर सिवाय भूसा या गोबर से के कुछ नहीं है।
क्रमशः
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
-[भगवद् गीता के उपदेश]:
- कल से आगे:-
अगर्चे मैं अजन्मा और अमर आत्मा हूँ,सब सृष्टि का ईश्वर (मालिक) हूँ, तो भी अपनी प्रकृति का अधिष्ठाता यानी मालिक बनकर अपनी माया यानी शक्ति से जन्म धारण करता हूँ। जब जब दुनिया में धर्म की हानि और अधर्म की मृत्यु हो जाती है तब तब मैं शरीर धारण करके यहाँ प्रकट होता हूँ।
भले पुरुषों की रक्षा और दुष्ट जनों के नाश और धर्म के कायम करने के लिए मैं हर युग में देह धारण करता हूँ। जो शख्स इस तरह मेरे दिव्य जन्म और कर्म की असलियत समझ लेता है वह शरीर त्यागने पर दोबारा जन्म नहीं लेता । वह मेरी जात में समाता है।
मालूम हो कि बहुत से भले पुरुष राग, भय और क्रोध की मैल से रहित, मुझ में रत, मेरा सहारा लिये और ज्ञानरूपी तप से निर्मलता को प्राप्त, मेरी जात में समा चुके हैं।
【10】 क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज-
प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-
विलायत में जगह-जगह भक्तों के और शहीदों के मजार बने हुए हैं और हर साल एक या दो दफे हर जगह मेले होते हैं और सैकड़ों कोसों से लोग दर्शन के वास्ते आते हैं और भेंट पूजा चढाते हैं और दुआयें माँगते हैं।
इस मुल्क यानी हिंदुस्तान में भी कोई ऐसा देश नहीं है, जैसे पंजाब, गुजरात, दक्षिण, राजपूताना, बंगाल और हिंदुस्तान खास यानी अंबाले से लगाकर बनारस तक, और उड़ीसा वगैरह की जहाँ ऐसे स्थान न होवें और पूजा जारी न होवे। हजारहाँ हिंदू मुसलमान भक्तों और फकीरों और शहीदों की जियारत और पूजा के वास्ते जाते हैं ।
सिवाय मालिक के भक्तों के और बहुत से कमजात देवता और सिद्ध और भूत प्रेत बने हुए जा बजा पुज रहे हैं और कोई मर्द या औरत या पंडित या ब्राह्मण या भेष ऐसी पूजा पर तान नहीं मार सकते हैं, बल्कि आप उस पूजा में शामिल होते हैं और जो चीजें कि उनके देखने और छूने के काबिल नहीं हैं, उनमें बेतकल्लुफ बरतते हैं, जैसे सूअर के बच्चे और बकरे और भैसे कटवाते हैं, और शराब की बोतल भोग में ले जाते हैं, और खून का टीका माथे पर लगवाते हैं, और गोश्त का प्रसाद बँटता है।
जो लोग की वेद और शास्त्र की पक्ष करते हैं और उनको कभी आँख से भी नहीं देखा और न पढा और न सुना उन्ही के घर में ऊपर की लिखी हुई नाकिस पूजा जारी है और वहाँ वे दम भी नहीं मार सकते, बल्कि जोरू और लड़कों के साथ आप उस नाकिस पूजा में शामिल होते हैं और जो परसाद वहाँ तक्सीम होता है वह माँग माँग कर लेते हैं और अपने बच्चों को खिलाते हैं क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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