राधास्वामी! / 05-09-2021-(रविवार) आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
अहो मेरे प्यारे सतगुरु,
अमृत धार बहा दो ,
तन मन स्रत भींजे ॥ टेक ॥
प्रेम बिना सब करनी फीकी ।
नेकहु मोहि न लागे नीकी ।
घट धुन धुन रस दीजे ।।१।।
मैं हूँ नीच अधम नाकारा
तुम चरनन का लीन सहारा ।
मोहि अपना कीजे ॥२ ॥
दीन अधीन पड़ा तुम द्वारे ।
तुम बिन को मेरी दया विचारे ।
मोहि सरना लीजे ॥३ ॥
तुम समरथ क्यों देर लगायो ।
दरशन दे मेरी सुरत चढ़ाओ ।
आयू छिन छिन बीजे ॥४ ॥
प्रेम भंडार तुम्हारे भारी ।
मेहर से खोलो गगन किवाड़ी ।
मन और स्रुत रीझे ॥ ५।।
आओ रे जीव सरन में आयो ।
सतगुरु से अब प्रीति लगायो ।
अमृत रम पीजे ॥६ ॥
राधास्वामी मेरा काज सँवारा ।
खोला आदि शब्द भंडारा ।
सुत धुन सँग मीझे सँग सीझे ॥७ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-6-पृ.सं.152,153)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी! आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला पहला पाठ:-
चढो री घट देखो मौज भली।
अमी रस पाओ आज अली।।
(सारबचन-734,735)**
विद्यार्थियों द्वारा पढे गये पाठ:- (1) गुरु की कर हर दम पूजा।
गुरु समान कोई देव न दूजा।।
(सारबचन-शब्द-2-पृ.सं.322)
(2) गुरु प्यारे की प्यारी मानो बात।।टेक।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-23-पृ.सं.26)
(3) गुरु ध्यान धरो तुम मन में।
गुरु नाम सुमिर छिन छिन में।।
(सारबचन-शब्द-2-पृ.सं.323)
(4) गुरु प्यारे की मेहर कहूँ कस गाय।।टेक।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-66-पृ.सं.56)
(5) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरूँ या कि मेहनत करूँ।।
पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलूँ कलाम।
न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।।
जो मर्जी तेरी के मुवाफ़िक़ न हो।
रज़ा के तेरी कुछ मुआलिफ़ जो हो।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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