**राधास्वामी! 10-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-.
अरी हे पड़ोसिन प्यारी ,
कोई जतन बता दो ,
कस मिले प्रीतम प्यारा ॥ टेक ॥
बिरह अगिन नित भड़कत तन में ।
पिया की पीर नित खटकत मन में ।
सहत रहूँ दुख भारा ॥१ ॥
कोई बैद मिलें जब भारी ।
रोग बूझ दें दवा बिचारी ।
तब कुछ पाऊँ सहारा ॥२ ॥
सतगुरु ऐसे बैद कहावें ।
प्रीतम से वे तुरत मिलावें ।
दे निज चरन अधारा ॥३ ॥
चलो पड़ोसिन गुरु ढिंग जावें ।
बिनती कर निज काज बनावें ।
छोड़ें जग अँधियारा ॥४ ॥
सतगुरु हैं वे दीनदयाला ।
मेहर से दिन में करें निहाला ।
अस होय जीव गुज़ारा ॥५ ॥
प्रेम प्रीति गुरु चरनन लावें ।
आरत कर उन बहुत रिझावें ।
तन मन चरनन वारा ॥६ ॥ ••
•••••कल से आगे••••••
भेद सुनावें अतिसै भारी ।
प्रीतम आपहि गुरु तन धारी ।
करते जीव उबारा ॥७ ॥
कर पहिचान लिपट रहें चरनन ।
प्रीति प्रतीति बढ़ावें छिन छिन ।
तज सब भरम पसारा ॥८ ॥
राधास्वामी धाम से सतगुरु आवें ।
जीव दया वे हिये बसावें ।
उन गति अगम अपारा।।९।।
भाग उदय हुए आज हमारे ।
मिल गये राधास्वामी प्रीतम प्यारे ।
लखा निज रूप नियारा ॥१० ॥
आओ पड़ोसिन गाओ बधाई ।
राधास्वामीमहिमा अगम अथाई ।
दम दम शुकर बिचारा ॥११ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-10-पृ.सं.158,159,160)**
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