राधास्वामी!
21-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
अरी हे सहेली प्यारी .
यह जग रैन का सुपना ,
करो काज सबरा ॥ टेक ॥
भोग बिलास जगत के काँचे ।
खोज करो तुम सतगुरु साँचे ।
उन सँग बाँधो बेड़ा ॥१ ॥
ले उपदेश करो अभ्यासा ।
राधास्वामी चरनन बाँधो आसा ।
मत कर बहुत अबेरा ॥२ ॥
गुरु सरूप का धर हिये ध्याना ।
दिन दिन प्रीति प्रतीति बढ़ाना ।
मिटे चौरासी फेरा ॥३ ॥
तन मन से सुत होकर न्यारी ।
गुरु की दया ले अधर सिधारी।
गगन मँडल किया डेरा ॥४ ॥
सतगुरु ध्यान धरत फिर चाली ।
धुन बीना सुन हुई निहाली ।
किया राधास्वामी धाम बसेरा ॥५ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-21-/पृ.सं.171,172)
: राधास्वामी!
आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला पहला पाठ:
-देव री सखी मोहि उमँग बधाई।
अब मेरे आनंद उस न समाई।।
(सारबचन-पृ.स.74,75)
करनाल ब्राँच..
**राधास्वामी!! -
21-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) देव री सखी मोहि उमँग बधाई। अब मेरे आनँद उर न समाई।।-(अलख अगम दोउ मेहर कराई। राधास्वामी राधास्वामी दरस दिखाई।।) (सारबचन-शब्द-1-पृ.सं.74,75-
करनाल (हरियाणा) ब्राँच-अधिकतय उपस्थिति-144)
(2) अरी हे सहेली प्यारी, यह जग रैन का सुपना, करो काज सवेरा।।टेक।।-
(सतगुरु ध्यान धरत फिर चाली।
धुन बीना सुन हुई निहाली।
किया राधास्वामी धाम सवेरा।।)
(प्रेमबानी-3-शब्द-21-पृ.सं.171,172) सतसंग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**.
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