राधास्वामी!
22-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
अरी हे सहेली प्यारी ,
हँगता बैरन भारी ,
दीन गरीबी धारो ॥ टेक ॥
जब लग मन में मान समाना ।
घट अंतर में दखल न पाना ।
मद ओर मोह बिसारो ॥१ ॥
बिना दीनता दया न पावे ।
बिना दया नहिं शब्द समावे ।
जाय न भौ के पारो ॥२ ॥
नीच निकाम जान अपने को ।
निपट अजान मान अपने को ।
तब पाय मेहर अपारो ॥३ ॥
अस घट प्रेम गुरू का जागे ।
झीनी सुरत चरन में लागे ।
सुन अनहद झनकारो ॥४ ॥
सुन सुन शब्द गगन को धावे ।
वहाँ से सतपुर जाय समावे ।
राधास्वामी चरन निहारो ॥५ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-22-
पृ.सं.172,173)
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