: **राधास्वामी! 07-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-.
अरी हे सहेली प्यारी ,
गुरु सँग फाग रचाओ ,
मिला औसर भारी ॥ टेक ॥
ऋतु फागुन अब आन मिली है ।
गुरु प्यारे से प्रीति ठनी है ।
चूके मत अब प्यारी ॥१ ॥
प्रेम रंग घट माट भरावो ।
गुरु पै छिड़क छिड़क हुलसावो ।
निरखो शोभा न्यारी ॥२ ॥
सुरत अबीर मलो चरनन में ।
प्रीति प्रतीति धरो निज मन में ।
तन मन धन देव वारी।।३।।
सेवा कर गुरु लेव रिझाई ।
प्रेमी जन सँग आरत गाई ।
देखो अजब बहारी ॥४ ॥
अस औसर नहिं बारम्बारा ।
गुरु चरनन करो प्रेम अधारा ।
जग भय लाज बिसारी ॥५ ॥
गुरु भक्ती की महिमा भारी ।
जाने जो जिन जुगत सम्हारी ।
प्रेम रंग भींजे सारी ॥६ ॥
परम गुरू मेरे प्रीतम प्यारे ।
राधास्वामी यह सब खेल खिलारे ।
उन पर जाऊँ बलिहारी ॥७ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-8-पृ.सं.155,156)**
**राधास्वामी!! -
(1) गुरु मोहि दीजे अपना धाम।।टेक।।-
(राधास्वामी कहें निज नामी।
दरदी को चहिये आराम।।)
(सारबचन-शब्द-13- पृ.सं.647,648-विशाखापत्तनम दयालनगर ब्राँच-अधिकतम उपस्थिति-59)
(2) अरी हे सहेली प्यारी,
गुरु सँग फाग रचाओ,
मिला औसर भारी।।टेक।।-
(परम गुरु मेरे प्रीतम प्यारे।
राधास्वामी यह सब खेल खिलारे।
उन पर जाऊँ बलिहारी।।)
(प्रेमबानी-3-शब्द-8-पृ.सं.155,156)
सतसंग के बाद:-
(1) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।(प्रे.भा. मेलारामजी-फ्राँस)
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।.
(प्रे. ब. हुस्नआरा -सुपुत्री-स्व.प्रे.ब. मुन्नु बहिन जी!)
(3) Dr.Anna Horatschek's Poem.
(4) राधास्वामी मूल नाम।
(5) राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफल कर ले।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतर कर ले।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतम कर ले।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
No comments:
Post a Comment