**राधास्वामी! / 25-09-2021-
आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:- अरी हे सहेली प्यारी ,
क्या सोवे जग माहीं ,
जाग चलो घर अपने ॥ टेक ॥ बिन गुरु दया कोई नहिं जागे ।
मेहर बिना नहिं घट में लागे ।
अटके जग सुपने ॥१ ॥
गुरु पूरे का जो सँग पावे ।
करम भरम तज घट में धावे ।
घर की ओर भजने ॥२ ॥
याते सतसँग सतगुरु धारो ।
सुरत शब्द अभ्यास सम्हारो ।
सँग मन माया तजने ॥३।।
गुरु सँग प्रीति बढ़ाओ दिन दिन ।
धुन में सुरत लगाओ छिन छिन ।
चरनन में पकने।।४।।
दीन होय गहो राधास्वामी सरना ।
राधास्वामी नाम हिये में धरना ।
चरनन में रचने ॥ ५ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-25-पृ.सं.173,174)*l
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