तेरे नैनो की छुअन का नशा यों छा गया।
विस्मृत कर मुझे जग से न्यारा बना गया।
उन नैनो में था प्यार, ममत्व और दया का सागर।
पाकर उसकी एक झलक जीवन मेरा संवर गया।
संसार के झमेलों से उलझ कर थक चुकी थी मैं।
पल भर का दीदार तेरा सबसे सहज छुड़ा गया ।
ना सुबह की फिक्र है, ना रात ही की चिंता।
तेरा दीदार पल भर में अपना बना गया।
काल माया ने घेरा था हर पल कसकर मुझे।
तेरे नैनो का जादू मुझे उनसे बचा गया।
डॉक्टर स्वामी प्यारी कौड़ा
4/64 विद्युत नगर,
दयालबाग, आगरा
29-9-2021
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