राधास्वामी! / 19-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
अरी हे सहेली प्यारी .
दूत बिरोधी भारी ,
गुरु बल इनको मारो ॥ टेक ॥
काम क्रोध और मोह और लोभा ।
मद और मान बड़ाई शोभा।
इनसे सब कोइ हारो ॥१ ॥
गुरु की दया ले इनसे लड़ना
। सुरत शब्द ले ऊपर चढ़ना ।
या विधि इनको टारो ॥२ ॥
जब लग घट में घाट न बदले ।
मन और सुरत रहें यहाँ गदले ।
फिर फिर भरमें वारों ॥ ३ ॥
जिस पर मेहर गुरू की होई ।
पार जाय निरमल होय सोई।
काल जाल से न्यारो ॥४ ॥
डरत रहो बैरियन से भाई ।
राधास्वामी चरन ओट गहोआई ।
सहज करें निरवारो।।५।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-19
राधास्वामी! - / 19-09-2021-(रविवार) आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) मागूँ इक गुरु से दाना।
घट शब्द देव पहिचाना।-
(मन हो गया बहुत निमाना।
अब राधास्वामी चरन समाना।।)
(सारबचन-शब्द-11-पृ.सं.643,644-
विशाखापत्तनम दयालनगर (ब्राँच) -अधिकतम् उपस्थिति-149)
(2) अरी हे सहेली प्यारी,
दूत बिरोधी भारी, गुरु बल इनको मारो।।टेक।।-
(डरत रहो बैरियन से भाई।
राधास्वामी चरन ओट गहो आई।
सहज करें निरवारो।।)
(प्रेमबानी-3-शब्द-19-पृ.सं.169,170)
सतसंग के बाद:-
(1) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।(
प्रे.भा. मेलारामजी-फ्राँस) (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।.
(प्रे. ब. हुस्नआरा -सुपुत्री-स्व.प्रे.ब. मुन्नु बहिन जी!)
(3) Dr.Anna Horatschek's Poem.
(4) Pbn. Aarti Prakash/written by Pbn. Poonam prakash (poem) YOU ARE MY ONLY HOPE AND PRAYER (
5) राधास्वामी मूल नाम।
(6) राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफल कर ले।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतर कर ले। राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से।
जनम सुफलतम कर ले।।
विद्यार्थियों द्वारा पढे गये पाठ:-
(1) राधास्वामी दयाल सरन की महिमा।
सतसंगी मिल गाय रहे री(आज)।।टेक।।
(प्रेबिलास-शब्द-14-पृ.स.17)
(2) हे गुरु मैं तेरे दीदार का आशिक जो हुआ।
मन से बेज़ार सुरत वार के दीवाना हुआ।।
(सारबचन-गजल-पहली-पृ.सं.424)
(3) चलो री सखी आज गगनपुरी।
जहँ गुरु प्यारे फाग रचाय रहे री।।टेक।।
(प्रेमबानी-4-शब्द-8-पृ.सं.35) (
4) दिल का हुजरा साफ़ कर जानाँ के आने के लिये।
ध्यान गैरोन का उठा उसके बिठाने के लिये।।
(संतबानी- संग्रह-2-शब्द-30-पृ.सं. 84)
(5) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ।
चलूँ या फिरूँ या कि मेहनत करूँ।।
पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलूँ कलाम।
न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।।
जो मर्ज़ी तेरी के मुवाफ़िक़ न हो।
रज़ा के तेरी कुछ मुखालिफ़ जो हो।। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**दिल का हुजरा साफ़ कर
जानाँ के आने के लिये ।
ध्यान गैरों का उठा उसके बिठाने के लिये ॥१ ॥
चश्मे दिल से देख याँ जो जो तमाशे हो रहे ।
दिलसिता क्या क्या हैं तेरे दिल सताने के लिये ॥ २ ॥
एक दिल लाखों तमन्ना उस पै और ज्यादा हवस ।
फिर ठिकाना है कहाँ उसके टिकाने के लिये ॥३ ॥
नकली मंदिर मसजिदों में जाय सद अफ़सोस है ।
कुदरती मसजिद का साकिन दुख उठाने के लिये ॥ ४ ॥
कुदरती काबे की तू मिहराब में सुन ग़ौर से ।
आ रही धुर से सदा तेरे बुलाने के लिये ॥ ५ ॥
क्यों भटकता फिर रहा तू है तलाशे यार में ।
रास्ता शहरग में है दिलबर पै जाने के लिये
मुशिद कामिल से मिल सिद्क और सबूरी से तक़ी ।
जो तुझे देगा फ़हम शहरंग के पाने के लिये ॥७ ॥
गोश वातिन हों कुशादा जो करे कुछ दिन अमल । ला
इला इल्लिल्लाह हो अकवर पैजाने के लिये ॥ ८ ॥
यह सदा तुलसी की है आमिल अमल पर ध्यान दे ।
कुन कुराँ में है लिखा अल्लाह अकबर के लिये ॥९ ॥
(संतबानी-
संग्रह-भाग-2-शब्द-30-पृ.सं.84)**
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