: राधास्वामी! 28-09-2021
-आज सुबह सतसंग में पढे जाने वाला दूसरा पाठ:-
राधास्वामी छवि निरखत मुसकानी । तन मन सुध बिसरानी रे ॥१॥
बिन दरशन कल नाहिं पड़त है ।
भावे अन्न न पानी रे ॥२॥
देखत रहूँ री रूप गुरु प्यारा ।
छिन छिन मन हरखानी रे ॥३॥
दया करी गुरु दीन दयाला ।
हुई जग से अलगानी रे ॥४॥
लिपट रहूँ हर दम चरनन से। राधास्वामी जान पिरानी रे।।५।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-3-पृ.सं.177,178)
: **राधास्वामी! 28-09-2021
-आज शाम सतसंग में पढे जाने वाला दूसरा पाठ:-
आरत गावे सेवक प्यारा ।
सतगुरु चरनन प्रीति सम्हारा ॥१॥
प्रीति सहित नित दरशन करता ।
बंदगी कर परशादी लेता ॥२॥
उमँग उमँग गुरु सेवा धावत । राधास्वामी २ छिन २ गावत ॥ ३॥
गुरु आज्ञा हित चित से माने ।
गुरु सम दूसर और न जाने ॥४॥
राधास्वामी चरनन प्रीति बढ़ाता । आरत कर राधास्वामी रिझाता ॥५॥
निस दिन खेलत सतगुरु पासा ।
बिन गुरुचरन और नहिं आसा ॥६॥ दया मेहर गुरु कीनी भारी ।
मैं भी उन चरनन बलिहारी ॥७।।
प्रेम आनंद बिलास नवीना ।
निस दिन देखू रहूँ अधीना ॥ ८॥
गुरु परताप रहा घट छाई ।
छिन छिन चरन कँवल लौ लाई ॥ ९॥
नाम सुधा रस निस दिन पीना ।
घंटा संख बजे धुन बीना ॥१०॥
गरज गरज मिरदंग सुनाई । सारँग मुरली बजे सुहाई ॥११॥
अलख अगम की धुन सुन पाई । राधास्वामी चरन धियाई ॥१२॥
भाग जगे सतगुरु सँग पाया ।
सहज सरूप अनूप दिखाया ॥१३॥
दया मेहर कुछ बरनी न जाई ।
चरन सरन मैं निज कर पाई ॥१४॥ महिमा राधास्वामी कहाँ लग भाखूँ ।
धनधन धनधन राधास्वामी आखूँ ।१५॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-27-पृ.सं.172,173,174)
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