: **राधास्वामी! 17-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
अरी हे सहेली प्यारी ,
जग है विष की खाना ,
यासे रहो होशियारा ॥ टेक ॥
माया ने रचे भोग बिलासा ।
घेरे जीव दिखाय तमाशा ।
जाल बिछाया भारा ॥१ ॥
मन इच्छा सँग जीव मलीना ।
रोग सोग और दुख सुख सहना ।
करम भार सिर डारा ॥२ ॥
कुल कुटम्ब और भाई बिरादर । स्वारथ सँग सब करते आदर ।
बिन धन देयँ न सहारा ॥३ ।।
याते चेत चलो मेरे भाई।
गुरु बिन नहिं कोइ और सहाई।
उन चरनन में लाओ प्यारा।।४।।
गुरु से शब्द का ले उपदेशा।
कर अभ्यास तजो यह देशा।
राधास्वामी नाम का कर आधारा।।५।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-17-पृ.सं.167,168)**
: **राधास्वामी! 17-09-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
प्रीति प्रतीति हिये भई भारी ।
दास आरती करन बिचारी ॥१ ॥
शब्द बिबेक थाल लिया हाथा ।
अमी धार धुन जोत जगाता ॥२ ॥
कर सतसंग भरम सब नासा ।
सुरत चढ़ी पहुँची आकाशा ॥३ ।।
सहसकँवल घंटा धुन आई ।
जगमग जगमग जोत जगाई ॥४ ॥
बंकनाल धस त्रिकुटी आई ।
गुरु दरशन कर अति हरपाई ॥५ ॥
मानसरोवर किए अशनाना ।
हंस मंडली जाय समाना ॥६ ॥
भँवरगुफा की धुन सुन पाई ।
सत्तलोक में पहुँची धाई ॥ ७ ॥
अलख अगम परसे पद दोई । राधास्वामी चरनन सुरत समोई ॥ ८ ॥
महिमा राधास्वामी कही न जाई ।
वेद कतेब रहे शरमाई ॥ ९ ॥
मेरा भाग उदय हो आया ।
राधास्वामी चरन धियाया ॥१० ॥
मेहर दया परशादी पाऊँ ।
चरन सरन पर वलि बलि जाऊँ ॥११ ॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-20-पृ.सं.161,162)
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
No comments:
Post a Comment