राधास्वामी / 29-09-2021-
आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:- सुन सुन महिमा गुरु प्यारे की हुई
मैं दरस दिवानी रे ॥१॥
धाय धाय चरनन में धाई ।
परघट रूप दिखानी रे ॥२॥
मोहित हुई अचरज छवि निरखत।
तन मन सुद्ध भुलानी रे ॥३॥
बार बार बल जाउँ चरन पर ।
कस गुन गाउँ बखानी रे ॥४॥
राधास्वामी जान जान के जानाँ ।
उन चरनन लिपटानी रे ॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-4-पृ.सं.178)**
**राधास्वामी! / 29-09-2021-
आज शाम सतसंग में पढे जाने वाला दूसरा पाठ:-
आरत गावे सेवक प्यारा ।
सतगुरु चरनन प्रीति सम्हारा ॥१॥
प्रीति सहित नित दरशन करता ।
बंदगी कर परशादी लेता ॥२॥
उमँग उमँग गुरु सेवा धावत । राधास्वामी २ छिन २ गावत ॥ ३॥
गुरु आज्ञा हित चित से माने ।
गुरु सम दूसर और न जाने ॥४॥
राधास्वामी चरनन प्रीति बढ़ाता । आरत कर राधास्वामी रिझाता ॥५॥
निस दिन खेलत सतगुरु पासा ।
बिन गुरुचरन और नहिं आसा ॥६॥
दया मेहर गुरु कीनी भारी ।
मैं भी उन चरनन बलिहारी ॥७।। °°°°
°कल से आगे°°°°°
प्रेम आनंद बिलास नवीना ।
निस दिन देखू रहूँ अधीना ॥ ८॥
गुरु परताप रहा घट छाई ।
छिन छिन चरन कँवल लौ लाई ॥ ९॥
नाम सुधा रस निस दिन पीना ।
घंटा संख बजे धुन बीना ॥१०॥
गरज गरज मिरदंग सुनाई ।
सारँग मुरली बजे सुहाई ॥११॥
अलख अगम की धुन सुन पाई । राधास्वामी चरन धियाई ॥१२॥
भाग जगे सतगुरु सँग पाया ।
सहज सरूप अनूप दिखाया ॥१३॥
दया मेहर कुछ बरनी न जाई ।
चरन सरन मैं निज कर पाई ॥१४॥ महिमा राधास्वामी कहाँ लग भाखूँ । धनधन धनधन राधास्वामी आखूँ ।
१५॥(प्रेमबानी-1-शब्द-27-पृ.सं.172,173,174)**
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