: राधास्वामी! / 16-09-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
बिरह अनुराग दास घट आया । सतगुरु सन्मुख आरत लाया ॥१ ॥
चुन चुन कलियाँ हार बनाया ।
शब्द गुरू के गल पहिनाया ॥२ ॥
सहसकँवल का थाल बनाया । बंकनाल धुन जोत जगाया ॥३ ॥
उमँग उमँग कर आरत गाया ।
घंटा संख मृदंग बजाया ॥४ ॥
सुरत जगी लागी दस द्वारे ।
तीन लोक के हो गई पारे ॥५ ॥
चढी महासुन खिड़की खोली ।
सोहँग मुरली धुन जहाँ बोली ॥ ६ ॥
वहाँ से चल पहुँची सतपुर में ।
सतगुरु दरशन पाए अधर में ॥७ ॥
अमी अहार बिलास नवीना ।
मलय सुगंध मधुर धुन बीना ॥८ ॥
देखा अचरज कहा न जाई ।
शोभा सतगुरु क्योंकर गाई ॥९ ॥
अलख पुरुष तिस आगे देखा ।
अगम पुरुष तिस ऊपर पेखा ॥१० ॥ राधास्वामी धाम अजब दरसाना । अकह अपार अनाम बखाना ॥११ ॥ •••••कल से आगे•••••
राधास्वामी महिमा कस कह गाऊँ । चरन सरन में निस दिन धाऊँ ॥१२ ॥
ज्ञान मते में दिवस गँवाये ।
सुक्ख न पाया रीते आये ॥१३ ॥
महिमा राधास्वामी सुनी बनाई । खोजत खोजत सन्मुख आई ॥१४ ॥
राधास्वामी मेहर दृष्टि से देखा ।
सुरत शब्द का दीना लेखा ॥१५ ॥
सतसँग में मोहि लीन लगाई ।
करम धरम सब दूर नसाई ॥१६ ॥
दिन दिन प्रीति प्रतीति बढ़ाई ।
न्यारा कर मोहि लिया अपनाई ॥१७ ॥
मैं अजान उन गति नहिं जाना ।
अपनी दया से दिया मोहि दाना ॥१८ ॥
जगे भाग गुरु मूरत चीन्ही ।
राधास्वामी चरन सुरत हुई लीनी ॥१९ ॥
पाई सरन मेहर हुई भारी ।
राधास्वामी पै मैं जाऊँ बलिहारी ॥२० ॥ हुई आरती अब सम्पूरन ।
सुरत समाई राधास्वामी चरनन ॥२१ ॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-19-पृ.सं.159,160,161)
: राधास्वामी! / 16-09-2021-आज शाम सतसंग में पढा गया पहला पाठ:-
चहुँ दिस धूम मची ,
सतगुरु अब आये ,
जग जीव जगाये ,
उन लिया अपनाई रे । राधास्वामी ३ , प्यारे राधास्वामी रे।।१।।
राधास्वामी परम हितकारी ,
अस लीलाधारी ,
जो जिव दीन दुखारी ,
उन लेहैं उबारी रे राधास्वामी ३ , प्यारे राधास्वामी रे ॥२ ॥
जम काल लजाई ,
माया रही मुरझाई ,
कुछ पेश न जाई , सब करम नसाई रे । राधास्वामी ३ , प्यारे राधास्वामी रे ॥३ ॥
हुआ जीव उबारा ,
मिटा भर्म पसारा ,
घर काल उजाड़ा ,
हुआ सत उजियारा रे राधास्वामी ३ , प्यारे राधास्वामी रे ॥४ ॥ ।
राधास्वामी महिमा भारी ,
कस गाउँ पुकारी ,
मैं बाल अनाड़ी
उन सरन अधारी रे । - राधास्वामी ३ , प्यारे राधास्वामी रे ॥५ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-4-पृ.सं.184)
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