**राधास्वामी! / 15-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:- अरी हे सहेली प्यारी ,
गुरु का ध्यान सम्हारो ,
मनमुखता सहज नसावे ॥ टेक ॥
सतसँग कर बढ़ा भाव गुरु में ।
प्रीति लगी अब चरन गुरू में ।
नित दरशन को धावे ॥१ ॥
गुरु मूरत हिये माहिं बसानी ।
छिन छिन गुरु के पास रहानी ।
नई नई उमँग उठावे ॥२ ॥
सेवा को लोचे मन छिन छिन ।
प्रेम बढ़त गहिरा अब दिन दिन ।
गुरु बिन कछु ना सुहावे ।।३।।
ध्यान धरत मन चढ़े अकाशा।
देखे घट में बिमल बिलासा।
शब्दारस पी त्रिप्तावे।।४।।
राधास्वामी मेहर से सूरत जागे।
धुन डोरी गह घर को भागे। चरनन माहिं समावे।।५।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-15-पृ.सं.165,166)**
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