**राधास्वामी! 24-09-2021
-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
अरी हे सहेली प्यारी ,
क्यों न सुने गुरु बैना ,
वे हैं बंदीछोड़ा ॥टेक ॥
सतसँग कर उन सहित पिरीती ।
बचन सुनो हिये धर परतीती ।
छिन छिन बंधन तोड़ा ॥१ ॥
भूल भरम तेरा सबही मिटावें ।
घट में धुन सँग सुरत लगावें ।
सुन ले अनहद घोरा ॥२ ॥
छिन छिन वे तेरी करें सफाई ।
अटक भटक सब देहिं तुड़ाई ।
मन इच्छा मुख मोड़ा ॥३ ॥
घट में अचरज दरस दिखावें।
मन और सूरत अधर चढावें।
मारें काल कठोरा।।४।।
राधास्वामी अपनी मेहर करावें।
तब घट में अस मौज दिखावें।
स्रुत निज चरनन जोड़ा।।५।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-24-पृ.सं.174,175)**
: **राधास्वामी! / 24-09-2021-
आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
खेल रही सूरत मतवारी।
गुरु चरनन में प्रीति करारी ॥१ ॥ °°°°°कल से आगे°°°°°
लक्ष रूप को ब्यापक माना ।
सुरत चेतन्य का मरम न जाना ॥१९ ॥
मन चेतन में जाय समाई ।
ये ही लक्ष रूप ठहराई ॥२० ॥
काल देश में रहे भुलाने ।
दयाल देश की खबर न जाने ॥२१ ॥
याते जन्म मरन नहिं छूटा ।
फिर फिर चौरासी जम लूटा ॥२२ ॥
अपना भाग सराहूँ भाई ।
राधास्वामी चरन सरन मैं पाई ॥२३ ॥
किरपा कर मोहि लिया अपनाई । काल जाल से लिया बचाई ॥२४ ॥
सतसँग कर हिये दृष्टि खुलानी ।
संत मते की महिमा जानी ॥२५ ॥
उमँग सहित यह आरत गाऊँ । राधास्वामी मेहर परशादी पाऊँ ॥२६ ॥
नित नित सुरत शब्द लगाऊँ। राधास्वामी चरनन सहज समाऊँ।।२७।।
(प्रेमबानी-1-शब्द-25-पृ.सं.167,168,169,170)**
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
No comments:
Post a Comment