Monday, February 10, 2020

शाम के सत्संग का बचन




💥💥💥💥💥
*03-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन-कल से आगे-*

*(46)-जो जिस्म जिंदा है उसके अंदर नया मसाला जज्ब करने और मुर्दा मसाला खारिज करने का अमल दिन रात जारी रहता है और यह अमल बन्द होते ही उस शरीर का नाश होने लगता है। जिंदा संगत का भी यही हाल है यानी उसकी सरकजी कुव्वत(केन्द्रिक शक्ति) इन्तिख्वाब का अमल जारी रखती है जिससे वे बातें जो उस संगत के लिये मुफिद व जिन्दगीबख्श है इसके मेम्बरों के अंदर आती रहती है और नाकिस या बेमसरफ बातें खारिज होती रहती है। मगर बाज लोग बिला सोचे समझे हर नई बात को अपने अन्दर जज्ब कर लेते है और हर पुरानी बात को, चाहे वह कितनी ही मुफीद क्यों न हो, महज पुरानी होने की वजह से तर्क कर देते है। वे इस अमल से अपना दोहरा नुकसान करते है। इसी तरह बाज लोग पुरानी बातों की , चाहे वे कैसी ही लगव क्यों न हो, जबरदस्त टेक रखते है और जब उन बातों के खारिज होने का समय आता है वे बवजह पकड के उनके साथ खुद भी संगत से खारिज हो जाते है। चूँकि सतसंग भी एक जिंदा संगत है और इसके अन्दर भी इन्तख्वाब का अमल जारी है इसलिये बेहतर होगा कि सब लोग आगाह रहें और नाकिस या बेमसफर बातों में पकड कायम करके अपने तई मरदूर बनाये जाने के खतरे में न डालें।*

राधास्वामी

(सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा)
   प्रस्तुति - ममता शरण / कृति शरण


No comments:

Post a Comment

बधाई है बधाई / स्वामी प्यारी कौड़ा

  बधाई है बधाई ,बधाई है बधाई।  परमपिता और रानी मां के   शुभ विवाह की है बधाई। सारी संगत नाच रही है,  सब मिलजुल कर दे रहे बधाई।  परम मंगलमय घ...