प्रस्तुति - ममता दीपा सुनीता रीना
राधास्वामी!!
21-03-2020
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ :-
(1) धुर धाम नियार।। लखे कोई गुरुमुख जाय।। (सारबचन-शब्द- 1 (प्रेम तरंग)-भाग-पाँचवाँ,पृ.सं. 201)
(2) सतगुरु प्यारे ने जगाई। मन में प्रीति नवीनी हो। ।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-85,पृ.सं. 119)
(3) सतसंग के उपदेश- भाग तीसरा-कल से आगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*
*राधास्वामी!!
21-03- 2020
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे
-(87 )
मालिक की हस्ती में विश्वास लाना हर किसी के बस की बात नहीं है। जैसे सब के सब जानवर एक यकसाँ अक्ल व तमीज नहीं रखते ऐसे ही सब इंसान भी इस लिहाज से बराबर नहीं है और जैसे जानवरों के लिए मालिक की हस्ती में विश्वास लाना कतई नामुमकिन है ऐसे ही बाज इंसानों के लिए भी नामुमकिन है ।
बहुत से लोग मुंह से मालिक का नाम लेते हैं लेकिन उनके कर्मों से जाहिर होता है कि उन्हें मालिक की हस्ती में कतई विश्वास नहीं है । मालिक की हस्ती में विश्वास लाने के लिए इंसान के अंदर खास दर्जे की रूहानी काबिलियत दरकार है।
संसार में जितने भी शरीर हैं वे दरअसल उनके अंदर मुकीम सुरतों या आत्माओं की शक्ति के इजहार का नतीजा है यानी उन शरीरो की मार्फत उनके अंदर निवास करने वाली आत्माएं अपनी अपनी चेतशक्ति का इजहार कर रही है।
और क्योंकि सब के सब यकसाँ नहीं है इसलिए जाहिर है कि सब की सब आत्माओं को अपनी कोशिश में यकसाँ कामयाबी नहीं होती। जिस शरीर के द्वारा चेतन शक्ति का काफी इजहार होता है उसी के दिल में मालिक की हस्ती का विश्वास कायम हो सकता है।
इसलिए जो शख्स यह चाहता है कि उसके दिल में मालिक की हस्ती का विश्वास सच्चा व गहरा कायम हो उसे अपनी शक्ति का प्रकाश तेज करें और उसके लिए ध्यान व भजन की युक्तियां बहुत ही मुफीद है।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
(सत्संग के उपदेश-
भाग तीसरा।)*
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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