Friday, March 20, 2020

धैर्य / दिनेश श्रीवास्तव



दोहे
               
"धैर्य" 

दस लक्षण हैं धर्म के, प्रथम धैर्य का नाम।
 धैर्य सदा धारण करें, ज्यों पुरुषोत्तम राम।।-१




सदा धैर्य को धारिए, कभी न बनें अधीर,
सुख-दुख में समदर्शिता, रखते केवल वीर।।-२



धीर- वीर-गंभीर जो,कर जाते हैं काम।
उनका ही होता सदा,यहाँ जगत में नाम।।-३


जीवन का पहिया चले, धूरी धैर्य सशक्त।
 धैर्य बिना जीवन कहाँ, मानव रहे अशक्त।।-४


राम कृष्ण या बुद्ध हों, महावीर सम वीर।
विपदा का जब काल था, बने न कभी अधीर।।-५


जीवन में रखिए सदा,धैर्य धीरता आप।
 संजीवन बूटी यही, मिटे सभी संताप।।-६


विपदा है आई बड़ी, निकल रही है आह।
 धैर्य अगर टूटा यहाँ,होगा विश्व तबाह।।-७


विपदा के इस काल में, मानव है जब तंग।
 धीर पुरुष बन जीतिए, 'कोरोना' से  जंग।।-८



धैर्यशीलता मनुज का, सद्गुण एक महान।
 होती विपदा काल में, इस गुण की पहचान।।-९


धारित करती धारिणी, धरा जगत का भार।
 धरती की यह धीरता, उपकृत है संसार।।-१०

               
   दिनेश श्रीवास्तव.।।





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