प्रस्तुति - ममता शरण /दीपा शरण /
सुनीता स्वरुप /रीना शरण
[23/03-2020
: *परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
सत्संग के उपदेश -भाग 2
- कल का शेष :-(९)
परम कृपा जब गुरु करें परम दया कर्तार। पूरे गुरु के खोज की तब पावे जिव सार।।। जब किसी पर गुरु महाराज की परम कृपा हो और सच्चे मालिक कुल कर्तार की परम दया हो तभी उस शख्स के हृदय में पूरे गुरु की तलाश का शौक पैदा होगा
मयानी सच्चे मालिक की किसी शख्स के लिए मौज हो कि जगत् से न्यारा करके उसको मुक्ति की अवस्था प्राप्त कराई जावे और नीज पूरे गुरु की, जो संसार में मौजूद हों, मौज हो कि उनकी मारफत उस शख्स के जीव का कल्याण हो तो उसके दिल में सच्चे और पूरे गुरु की तलाश का शौक पैदा हो सकता है ।
इसलिये धन्य है वो लोग जो चाहे किसी भी मजहब या सोसाइटी या संसारी अवस्था में हो लेकिन उनके अंदर सच्चे गुरु की तलाश का शौक कायम है। यह शौक वृथा ना जाएगा बल्कि जरूर एक दिन उनको पूरे गुरु से मिलाकर रहेगा और पूरे गुरु से मिलने पर उनके जीव के कल्याण की कार्यवाही सहज में शुरू हो जावेगी।
लेकिन अफसोस है उन लोगों के हाल पर जो देह के बंधनों में फंसे हैं और जिनके घट में कुमति यानी कुबुद्धि ने निवास कर रखा है और जो संसार के ही सुख चाहते हैं। चूँकि संसार में ज्यादतर इसी किस्म के लोग हैं इसलिए आमतौर पर पूरे गुरु और शिष्य की तलाश का सच्चा शौक देखने में आता है।।
(१०) देह फंद जिव फाँसिया कुमति किया घट बास। पूरे गुरु और शिष्य की कौन धरे मन आस।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*
: *परम गुरू हुजूर साहबजी महाराज-
रोजानावाकियात-
11 अगस्त 1932:-
आज खबर मिली है कि गाय की हालत अच्छी है लेकिन बछडी मृत्यु के निकट है।गीता में लिखा है प्रजापति ने सृष्टि के शुरू में हुकुम दिया कि इंसान देवताओं को यज्ञ कर्म करके खुश करें और देवता मनुष्य वर्ग को अपना सौभाग्य प्रदान करके सुखी करें ।
देवताओं में तो अब लोगों की आस्था कम हो रही है लेकिन अगर इस सिद्धांत पर गाय बैल और दूसरे घरेलू जानवरों के साथ बर्ताव किया जाए तो थोड़ी ही अरसे में हिंदुस्तान का नक्शा बदल जावे।
आजकल 10 12 बरस की उम्र में हमारे बच्चों को ऐनक की जरूरत हो जाती है । जिस लड़के को देखो रंग पीला है स्मरण शक्ति कमजोर है। जिस नौजवान को देखो किसी न किसी बीमारी में ग्रसित है । वजह है कि हमारे जिस्म की बुनियाद ही कमजोर होती है ।
अगर माताओं को व नीज बचपन में बच्चों को अच्छा दूध मिले तो शिकायते आप से आप है आपसे आप दूर हो जायें। जिस्म में ताकत होने से क्या पढ़ने लिखने वालों या खेतों में काम करने वाले अब से दोगुना तीनगुना काम करने लगें। इससे नीज डॉक्टरों के बिलों में कमी होकर हर खानदान की आर्थिक हालत तरक्की कर जाये।
अफसोस है कि इस तरफ बहुत ही कम लोगों की तवज्जुह है।।
रात के सत्संग में राधास्वामी दयाल की जाने से जो जो बख्शिशे हमें प्रदान हुई है उनका जिक्र करके बयान हुआ कि सबसे बड़ा एहसान उनका हमारे ऊपर यह है कि उन्होंने खुद दया करके हमें अपनी परख पहचान इनायत फरमाई । वरना दूसरों की तरह हम भी अपने स्वयं को सर्वज्ञ समझते हुए परेशान हाल रहते और अपने कर्तव्यों व सत्य का मार्ग से बेखबर रहकर सिद्धांतहीन की जिंदगी बसर करते ।
इंसान माने या ना माने उसको बाहरी रोशनी की हर हालत में जरूरत है। पैगंबरों औलियाओं, ऋषियों और संतो से मनुष्य वर्ग को उच्च स्तर की रोशनी खोज कर अवर्णनीय एहसान किया लेकिन तंगदिल इंसान बजाय शुकराना बजा लाने के उनकी जात में दोष निकालता है और अपने को पातकी करता है।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 **
: *राधास्वामी!!
।।जरूरी सूचना।।
सभी सतसंगी भाई बहनों को वाहन पंजीकरण हेतु जरूरी सूचना -
जो सतसंगी भाई बहन खेतो पर अपने निजी वाहनो से आते है उनको सूचित किया जाता है कि वो अपने वाहनों का पजिकंरण SFG द्वारा जरुर करायें, ताकि पार्किंग व सुरक्षा की उचित व्यवस्था सभी सतसंगी भाई बहनों व बच्चो को दी जा सके।
आपसे निवेदन है कि प्रे.भाई चरन प्रीत सिंह जी से आप जब भी खेतों पर सेवा के लिये आये पंजीकरण हेतु तुरंत संमपर्क कर सकते है। वो आपके वाहनों को पंजीकृत करके आपको टोकन दे देंगें। जो भी वाहन SFG द्वारा पंजीकृत नही होगें उनको खेतो पर निर्धारित पार्किंग स्धल पर पार्किंग की सुविधा नही मिल पायेगी।
इसी प्रकार जो सतसंगी भाई बहन दयालबाग के बाहर से आते वो भी अगली बार जब भी दयालबाग आये अपने वाहनों को जरूर पंजीकृत करवा ले ताकि आपको किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पडे। अगर इस दौरान आपके वाहन की चोरी हो जाता है या किसी प्रकार से एक्सीडेंट द्वारा कोई क्षति हो जाती है तो इसके लिये आप स्वय जिम्मेवार होंगे
इसके लिये SFG टीम की कोई जिम्मेवारी नही होगी आप अपने वाहन की सुरक्षा के स्वयं जिम्मेदार होंगे।( कर्नल एस.पी. सतसंगी)। राधास्वामी*
*परम गुरु हुजूर महाराज-प्रेमपत्र-भाग-1-
(कल से आगे):-
सब मतों में नाम की महिमा कही है और हिंदुओं के मत में खास कर लिखा है कि बगैर नाम के उद्धार नही होगा। मगर लोग नही जानते कि यह महिमा किस नाम की है और कौन जुगत से उसका अभ्यास करना चाहिये, जिससे सच्ची मुक्ति हासिल हो।
अब यह भेद खोल कर कहा जाता है कि जिस नाम की ऐसी महिमा हिंदू और मुसलमान और और मतों में कहीं है, वह धुन्यात्मक नाम संतो के दूसरे दर्जे यानी ब्रह्मांड के धनी का नाम है ।और जिस नाम की संतों ने महिमा कही है वह धुन्यात्मक नाम संतो के अव्वल दर्जे यानी निर्मल चेतन देश का है।
इन नामों की आवाज को अंतर में चित्त देकर सुनना और उनकी धार को पकड़कर दर्जे बदर्जे चढना यह सुरत शब्द का सच्चा अभ्यास है । और जो कोई इस तौर से अभ्यास करें वह थोड़े दिन में अपने आहिस्ता आहिस्ता उद्धार होने का सबूत अपने अंतर में देख सकता है । और वर्णनात्मक नाम बेठिकाने चाहे उम्र भर जाता करें , कुछ हासिल नहीं होगा।।
जो कोई दूसरे दर्जे यानी ब्रह्मांड के धुन्यात्मक नाम का अभ्यास राधास्वामी मत की जुगत के मुआफिक करेगा उसके आगे चढ़ने का, यानी सत्तपुरुष पहुंचने का इरादा नहीं रखता है तो उसका भी पूरा उद्धार नहीं होगा यानी जन्म मरण उसका, चाहे बहुत देर बाद होवे, जारी रहेगा।
इस वास्ते सब को चाहिए कि पहले और दूसरे दर्जे के धुन्यात्मक और गुणात्मक नाम का भेद और जुगती लेकर अभ्यास में लगें तो कारज पूरा होगा ।
मालूम होवे कि ब्रह्मांड के धुन्यात्मक नाम को लक्ष्य और वर्णनात्मक को वाच्य स्वरुप ब्रह्म का कहते हैं।
क्रमश: 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
*परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
रोजाना वाक्यात- 12 अगस्त 1932-
शुक्रवार:- दिसंबर में सत्संग के मौजूदा दौर के 19 साल पूरे होकर बीसवाँ साल शुरू होगा। लॉन पर जिक्र हुआ कि अगर इस मौके पर सत्संगी भाई अधिक तादाद में जमा हो और मिलकर राधास्वामी दयाल के गुनानुवाद गायें और खुशी मनाएं तो निहायत मुनासिब होगा। लेकिन कोई कार्यवाही करने से पहले मेंबरान सभा की राय हासिल करना जरूरी है ।
अगर मेम्बरान सभा की राय हो गई तो हफ्ता भर दयाल बाग में असाधारण रौनक और प्रेम व श्रद्धा के सामान देखने में आयेंगे। 10,15 हजार प्रेमियों का एक जगह जमा होकर प्रेम के राग अलापना एक खास लुत्फ रखता है। सतसंग मंडली में अब दया कश्मीर से लेकर रासकुमारी तक के आदमी शरीफ हैं और यह नामुमकिन नहीं है कि इस मौके पर हर मुल्क के हिस्से से भाई दयालबाग पहुंचने की कोशिश करें।
संगत की तरक्की व मजबूती के लिए इस किस्म का जलसा निहायत जरूरी व मुफीद मालूम होता है ।।
रात के सतसंग में एक पंजाबी बहन ने शिकायत की कि स्त्रियों को सत्संग का मौका कम मिलता है। यह शिकायत बेजा थी। सुबह शाम दो वक्त सतसंग का मौका हर किसी को मिलता है ।
बाकी वक्त में जिस बहन भाई को काम से फुर्सत मिले अपने घर में अभ्यास व पाठ करें। आखिर हर किसी को वास्ता स्त्री ही से पडेगा। बाहरमुख काररवाइयों में एक हद तक लगना ही है। जो लोग अंतरी अभ्यास व सतसंग को अहमियत नही देते हैं वह गलती पर है।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*
*परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-सतसंग के उपदेश
-भाग -2-(38)
-【कलों के मुतअल्लिक़ ख्यालात】:-
हिन्दुस्तान व नीज दूसरे मुल्कों में बाज लोगों का ख्याल है कि मशीनो(कलों) की ईजाद से दुनिया को सख्त नुकसान पहुँचा है। वे कहते हैं कि जब तक तमाम हुकुमतें कानूनन कलों का इस्तेमाल बंद न कर देंगी दुनिया में चैन न होगा। क्या लोगों के ये ख्यालात दुरुस्त है? हमारी राय में हरगिज नहीं।
कल़े आखिर औजार है जो इंसान को मेहनत से बचाती है। जो काम पहले बीस आदमी मिलकर एक महीने में खत्म नही कर सकते थे उसे आज कलों की मदद से दो चार आदमी एक दिन में खत्म कर सकते है। यह दुरुस्त हैं कि जिन कौमों ने कलों की ईजाद में बढकर कदम रक्खा उनके पास दूसरी जातियों की दौलत खिंचकर चली गई और वे लोग, जो बडे पैमाने पर चलते कारखानों के मालिक है, बादशाहों से ज्यादा मालदार हैं।
नीज यह भी दुरुस्त है कि दौलत से इस प्रकार एक जगह संग्रह का नतीजा यह हुआ है कि जिन जातियों के घर से दौलत चली गई वे मुफलिस व निर्धन हो गई है और जिनके हाथों में पहुँची वे विषयी, अहंकारी या माया की गुलाम हो गई हैं। मगर वाजह हो कि कलों की ईजाद से पहले जमाने में भी दौलत चंद ही कौमों व लोगों के हाथ में रहती थी, ज्यादतर रिआया जैसे तैसे पेट भर कर और मोटा झोंटा कपडा पहन कर दिन काटती थी।
इसके सिवा दुनिया में ऐसा कौन इंतजाम है जो हर हालत में हर किस्म के लोगों के लिये एकसाँ मुफीद हो। नीज जो कौमें तंगदस्त हो गई है उन्हे किसने मना किया था कि दूसरों की ईजाद से वे काम न लें या अपने लिये नई कलें ईजाद न करें। दुनिया एक घुडदौड के मैदान के समान है जिसमें सभी कौमें बल्कि सभी लोग दौड दौड रहे हैं। जो लोग पीछे रह जाते है उनकों तंगदस्ती व मुफलिसी का मुँह देखना पडता है और जो आगे निकल जाते है या दूसरों के बराबर रहते हैं वे खुशहाल रहते है।
क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*
*परमगुरु हुजूर महाराज
-प्रेमपत्र-भाग-1
, कल का शेष:-
सिवाय धुन्यात्मक और वर्णात्मक नाम के, जिनका जिक्र ऊपर हुआ, एक और किस्म के नाम भी है जिनको कृतिम कहते हैं, यानी जो करतूत के बमूजिब नाम रक्खे गये जैसे गोपाल, गिरधारी वगैरह। यह नाम जिस वक्त कि वह करतूत खत्म हुई जाते रहते हैं और कर्ता भी उसका काम का गुप्त हो जाता है। फिर ऐसे नामों के जपने से कुछ भी परमार्थी यानी जीव के उद्धार का फायदा नहीं हो सकता मगर लोग इस बात से बिलकुल बेखबर हैं।
और मालूम होवे कि जितने नाम तीसरे दर्जे के हैं वह सब थोड़े बहुत इसी किस्म से हैं । इनके जपने से चाहे थोड़ी बहुत सिद्धि और शक्ति हासिल हो जावे, पर ऐसे अभ्यासी को मन और माया यानी काम और क्रोध और मान बड़ाई के चक्कर में डालकर तहतुलसराय यानी 84 जोनों में भरमावेंगें।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 **
राधास्वामी। राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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