Tuesday, March 24, 2020




*राधास्वामी !! 

                                        
  24- 03 -2020

-आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन

- कल से आगे

 -(89

) हम सुरतरुप है और हमारा निज देश सच्चे मालिक का धाम यानी चेतन देश है। वहीं पहुँचने पर हमारी सुरत को सच्ची आजादी और सच्चा सुख प्राप्त हो सकता है।

 लेकिन चूंकि  मुमकिन नहीं कि हम फौरन मसंसार से निकलकर उस देश में पहुंच जाएं इसलिये लाजिम में हो जाता है कि जब तक हमें इस संसार में रहना पड़े यहां के नियमों से वाकिफ होकर अपने दुखों में कमी और सुखों में इजाफे के लिए कोशिश करें अलबत्ता ख्याल रखें कि यह कोशिश इसलिए नहीं की जाती कि संसार के सुख हमें दिल से भातें हैं बल्कि इसलिए कि जितने दिन यहां कैद काटनी ला जमी है उतने दिन नाहक दुख क्यों उठाएं ।आम लोग संसार को मिथ्या कहकर और यहाँ के भोग विलास को झूठे मानकर आलसी हो जाते हैं लेकिन सत्संग की तालीम से आलस्य का रोग  सत्संग मंडली के अंदर घुसने नहीं पाता और सत्संगी अपना सब कुछ काम काज करता हुआ और नाहक के दुखों से बचता हुआ सच्चे सुख के स्थान में प्रवेश हासिल करने के लिए यत्न करता रहता है और 1 दिन अधिकार पैदा होने पर सफलता को प्राप्त होता है।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा

राधास्वामी!!
  24-03 -2020 :-                आज शाम के सत्संग में पढ़े गए पाठ-                                                                                (1) गुरु ले पहिचान।  काज करें तेरा छिन में।। ( प्रेमबानी- भाग 3, शब्द- 4 पृष्ठ संख्या 202 )                                                             (2) सुरतिया बिगस रही , हरदम गुरु सेवा धार।। अद्भुत मेहर परख सतगुरु की। भाग सरावत बारम्बार।। ( प्रेमबिलास -शब्द- 86, पृष्ठ संख्या 121)                                                           

  ( 3) सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा -कल से आगे।           


🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*



राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी

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