[21/03, 16:28]
दिनेश श्रीवास्तव: वायरस-चेन
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तोड़ दीजिए चेन को,हो जाएँगे मुक्त।
घातक है जो वायरस,हो जाएगा सुस्त।
हो जाएगा सुस्त,यहाँ फैलाव रुकेगा।
जाएगा ये हार,और फिर यहाँ झुकेगा।।
कोई आये पास,हाथ को जोड़ लीजिए।
यही वायरस चेन, इसे अब तोड़ दीजिए।।
दिनेश श्रीवास्तव
[22/03, 07:47]
दिनेश श्रीवास्तव:
गीतिका-
सफल रहे अभियान
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जहाँ नहीं कुछ हाथ में,ईश्वर का हो ध्यान।
वही शक्ति देगा हमे,और बचेगा प्रान।।
अभी शेष है देश में,तरह तरह के शस्त्र।
अभी कृष्ण का चक्र है,अभी राम का बान।।
विश्व जगत व्याकुल हुआ,वैज्ञानिक सब फेल।
सभी धार्मिक जगत का,व्यर्थ हुआ सब ज्ञान।।
संत पुरोहित थक गए,मुल्ले सभी फ़क़ीर।
आज चिकित्सा जगत का,करना है सम्मान।।
अहर्निशं सेवामहे, लगे चिकित्सक नर्स।
बजे तालियाँ आज फिर,उनका ही हो गान।।
छोड़ छाड़ सब आज फिर,लेकर चम्मच-थाल।
उनको भी दे दीजिए,थोड़ी सी मुस्कान।।
अँधियारा तो क्षणिक है,पुनःउजाली रात।
खंडित करना है यहाँ, अँधियारे का मान।।
टूटेगा अब आज यह,महासंक्रमण चेन।
जन जन का होगा यहाँ,निश्चित ही कल्यान।।
हारेगा यह एक दिन, मन में है विश्वास।
कोरोना का बाप भी,'मोदी' का फरमान।।
संकट की यह बात है,और संक्रमण- काल।
करता विनय 'दिनेश'है,सफल रहे अभियान।।
दिनेश श्रीवास्तव
२२ मार्च २०२०
६.४५ प्रातः
[23/03, 09:12]
दिनेश श्रीवास्तव: दोहे
"धैर्य"
दस लक्षण हैं धर्म के, प्रथम धैर्य का नाम।
धैर्य सदा धारण करें, ज्यों पुरुषोत्तम राम।।-१
सदा धैर्य को धारिए, कभी न बनें अधीर,
सुख-दुख में समदर्शिता, रखते केवल वीर।।-२
धीर- वीर-गंभीर जो,कर जाते हैं काम।
उनका ही होता सदा,यहाँ जगत में नाम।।-३
जीवन का पहिया चले, धूरी धैर्य सशक्त।
धैर्य बिना जीवन कहाँ, मानव रहे अशक्त।।-४
राम कृष्ण या बुद्ध हों, महावीर सम वीर।
विपदा का जब काल था, बने न कभी अधीर।।-५
जीवन में रखिए सदा,धैर्य धीरता आप।
संजीवन बूटी यही, मिटे सभी संताप।।-६
विपदा आयी है बड़ी, निकल रही है आह।
धैर्य अगर टूटा यहाँ,होगा विश्व तबाह।।-७
विपदा के इस काल में, मानव है जब तंग।
धीर पुरुष बन जीतिए, 'कोरोना' से जंग।।-८
संयम,साहस,धीरता,शुचिता संव्यवहार।
'कोरोना' के रोग पर,इनसे करें प्रहार।।-९
धैर्यशीलता मनुज का, सद्गुण एक महान।
होती विपदा काल में, इस गुण की पहचान।।-१०
तालाबंदी हो गया,प्रतिष्ठान सब बंद।
धीरज रख कर मानिए,सरकारी प्रतिबंध।।-११
धीरज का आया यही,यहाँ परीक्षण काल।
सरकारी अनुदेश पर,उठे न कभी सवाल।।-१२
अक्षरशः पालन करें,कुछ दिन की है बात।
बाद अँधेरी रात के,आता सुखद प्रभात।।-१३
धारित करती धारिणी, धरा जगत का भार।
धरती की यह धीरता, उपकृत है संसार।।-१४
धीरज के इस काल में,पड़े न साहस मंद।
कलम सदा चलती रहे,घर दरवाजे बंद।।
'कोरोना'से मुक्त हो,स्वछ रहे परिवेश।
धैर्य न टूटे आपका,विनती करे 'दिनेश'।।-१६
दिनेश श्रीवास्तव
ग़ाज़ियाबाद
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