प्रस्तुति - आत्म स्वरूप
: राधास्वामी
आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) राधास्वामी लिया अपनाय सखी री।शोभा अदभुत आज लखी री।। राधास्वामी गोद बिठाया मुझे री। राधास्वामी लेहैं उबार तुझे री।। (सारबचन-शब्द-5,पृ.सं.61)
(2) सुरतिया पकड गुरु की बाहँ। उमँग कर निज घर को जाती।। माया काल लगाई अटकें। गुरु बल मार धरे लाती।। (प्रेमबानी-2,शब्द-91,पृ.सं.210)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
🌹🌹
परम गुरु महाराज साहबजी
(पंडित ब्रह्म शकंर मिश्र साहब)
राधास्वामी मत के तीसरे परम पूज्य आचार्य। उनका पावन जन्म 28 मार्च 1861 शाम 3 बजकर 20 मिनट पर बनारस में हुआ।
🌹🌹 कल 28 मार्च है।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 27-03-2020
आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) राधास्वामी लिया अपनाय सखी री।शोभा अदभुत आज लखी री।। राधास्वामी गोद बिठाया मुझे री। राधास्वामी लेहैं उबार तुझे री।। (सारबचन-शब्द-5,पृ.सं.61)
(2) सुरतिया पकड गुरु की बाहँ। उमँग कर निज घर को जाती।। माया काल लगाई अटकें। गुरु बल मार धरे लाती।। (प्रेमबानी-2,शब्द-91,पृ.सं.210)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
सतसंग के उपदेश
भाग-1
(परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज)
मिश्रित बचन
38- दुनिया के लोग बड़े शौक़ के साथ देवताओं की पूजा करते हैं और आशा रखते हैं कि इस पूजा से देवता उन्हें मुक्ति प्रदान करेंगे। मगर तअज्जुब यह है कि कोई भी यह तहक़ीक़ करने की कोशिश नहीं करता आया उन देवताओं को ख़ुद भी मोक्ष प्राप्त है।
जब कि ये देवता सृष्टि के काम में लगे हैं और सृष्टि की सँभाल की सेवा उनके सुपुर्द है, तो उनसे मोक्ष हासिल करने की आशा बाँधना लाहासिल है।
वे सृष्टि के ही अन्दर नीच ऊँच योनि दिला सकते हैं, इससे ज़्यादा उन्हें अधिकार हासिल नहीं है। उपनिषद् में एक जगह लिखा है कि जब कोई शख़्स देवताओं की उपासना छोड़ कर ब्रह्मविद्या की जानिब मुख़ातिब होता है तो वे उससे ऐसे ही नाराज़ होते हैं जैसे कोई अपने पशु चुराये जाने पर नाराज़ होता है।
ऐसी हालत में मोक्ष के तलबगारों को चाहिये कि देवताओं की पूजा को छोड़ कर सच्चे मालिक की भक्ति में लगें और सच्चे मालिक की भक्ति की रीति सच्चे सतगुरु से दरियाफ़्त करें।
राधास्वामी
*【प्रेम प्रचारक】
(नो घबराहट + नो घबराहट + नो घबराहट)
इस रचना पर काल कर्म धार सदा से गिरती आई है, कर्म प्रधान जगत में सबको कर्म का फल मिलता भाई है।
(1)
कर्म रेख पर मेख जो मारे ऐसा गुरु हमारा है, सत्संगी गौर हालत में गुरु ही एक सहारा है।
(2)
दीन दुखी असहाय होय जब सत्संगी घबराता है, " नो घबराहट" का संदेश गुरुमेहर की याद दिलाता है।
(3)
जब सद्गुरु की यह बानी है फिर घबराना किससे कैसा, सतगुरु ही आप संभालेंगे दुख आये चाहे भी जैसा।
(4)
गुरु की दया से काल जाल मन से छटाँक हो जाता है , सूली की सजा भी घट जाती काँटा बन कर चुभ जाता है।
(5)
मौज समझ हर हालत में जब सत्संगी दृढ रहता है, नो घबराहट का संदेश गुरु मेहर की याद दिलाता है ।
(6)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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