Saturday, March 21, 2020

हुजूर सत्संगी साहब जी महाराज के बचन





प्रस्तुति - अरूण अगम अलख यादव



जो मालिक को देना है, छप्पर फाड़ के देगा

परम गुरु हुज़ूर प्रोफ़ेसर प्रेम सरन सतसंगी साहब द्वारा फ़रमाया अमृत बचन
25.10.2019 - सायं सतसंग में
 (पिछले दिन का शेष)
             जब तक कोई ऐसा आपको संत सतगुरु के रूप में कर्मों का बोझ नहीं दिया जाए, जिसकी वजह से आप पिंड लोक में आए हों, औरों के कर्म काट कर के, उन कर्मों को चुकता करने के लिए, तभी यहाँ से वापसी मिलती है। नहीं तो आप चाहे जितने भी कमज़ोर हो जाएँ और आँखों से न दिखाई पड़ता हो और रोगों से आप ग्रसित हों, तब भी सब आपके कार्य जब तक कुल मालिक राधास्वामी दयाल आपको इस लोक में रखते हैं और आपके उत्तराधिकारी को गुरु नहीं बना देते, तब तक आपको ही निभाना होता है।
            तो इस तरह से आप करेंगे तो निराश होने की बात नहीं है कि line में खड़े कभी देखते हैं, कभी नहीं देखा। देखा नहीं तो निराश हुए कि हमारी तरफ़ नहीं देखा,पर उसका मतलब यही होता है कि वह अगर सुमिरन ध्यान भजन में ख़ुद मशग़ूल हैं,तो देखें, नहीं देखें, विकिरण होता रहता है और उससे जो आपको लाभ मिलना है, वह आपको लाभ प्राप्त होता है। तो आप शौक़ से उनके चेहरे की तरफ़ देखते रहिए, चूँकि सारे चेहरे से इस तरह का विकिरण होता है, सिर्फ़ आँखों से ही नहीं। वह तो सुरत का स्थान है जो आपके पास भी है, वहाँ आँख से केन्द्रित होंगे, तो सब लाभ प्राप्त होते हैं और वैसे वहाँ नहीं भी हों, तो धीरे-धीरे अपने गंतव्य स्थान पर निर्मल चेतन देश में आप पहुँच जाते हैं।
राधास्वामी



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