प्रस्तुति - विनस सिन्हा / सोनी सिन्हा
**राधास्वामी!
! 23-03-2020
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) गूरु चरनन प्यार। लाओं मन मेरे उमँग से।। (प्रेमबानी-3,शब्द-3,पृ.सं. 202)
(2) सुरतिया बिगस रही, हर दम गुरु सेवा धार।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-86,पृ.सं.122)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग-तीसरा-
कल से आगे।
। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
राधास्वामी !!
23- 03- 2020
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे
-(89)
हिंदुस्तान में बहुत अरसे से यही परमार्थी तालीम रही है कि संसार मिथ्या है और इसके भोग विलास सब झूठे हैं ।
चुनाँचे बहुत से प्रमार्थ से प्रेम रखने वाले अब भी हर परमार्थी संस्था से यही आशा रखते हैं कि वह ऐसे मनुष्य पैदा करें जो संसार से मुंह मोड़कर त्याग की जिंदगी बसर करें और सत्संग में आर्थिक संस्थाओं का प्रबंध उन्हें नागवार गुजरता है ।
बाजै हो कि सत्संग का भी यही उपदेश है कि संसार मिथ्या है और उसके भोग आसार हैं लेकिन फर्क यह है कि सत्संग यह भी खिलाता है कि जब तक किसी को संसार में रहना है तब तक उसके लिए संसार और उसके दुख सुख सत्य है।
संसार असत्य इसलिए है कि वह जड़ है इसमें क्षण क्षण परिवर्तन हो रहा है और इसके मुकाबले हम चेतन व अविनाशी है। इसके भोग इसलिए झूठे हैं कि वे देर अबेर दुखदाई साबित होते हैं ।
हम सुरतरूप हैं और हमारा निज देश सच्चे मालिक का धाम यानी चेतन देश है ।वही पहुंचने पर हमारी सूरत को सच्ची आजादी और सच्चा सुख प्राप्त हो सकता है ।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश भाग तीसरा
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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