[🌹 *Satsang Started.*🌹
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🌹 *सतसंग प्रारंभ ।*🌹
**राधास्वामी!! 25-03-2020
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ :-
(1) बिमल चित्त जोड रही। घट शब्द गुरू धर प्यार।। (प्रेमबानी-3,शब्द-5,पृ.सं.203)
(2) सुरतिया झुरत रही मन माहिं।प्रेम की घट में देख कसर।।टेक।। जब जब मेहर से सतसंग पाया। मिटती देखी इनकी लहर।। (प्रेमबिलास-शब्द-78,पृ.सं.122)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी !!
25-03 -2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे
-( 90)
सवाल जिज्ञासु का
- सतगुरु को मत्था टेकने से क्या लाभ होता है ?
जवाब- यह एक रोजाना तजुर्बे की बात है कि अगर रास्ता चलते कोई अजनबी आदमी हमारे पास से गुजरता है तो हम कुछ ध्यान नहीं देते लेकिन अगर मालूम हो जाए कि वह हमारा अजीज है तो हम फौरन खास तवज्जुह के साथ उसकी तरफ मुखातिब होते हैं और उसके साथ यथायोग्य बर्ताव करते हैं और अगर वह हमारा बुजुर्ग है तो हम फौरन प्यार व अदब से झुक जाते हैं।
ऐसे ही जब किसी को बड़ी तलाश करने पर सतगुरु मिल जाते हैं और साधन करने पर मेहर से उसको उनकी पहचान आ जाती है तो वह मारे प्रेम के उनके चरणों में लिपटने की इच्छा करता है और उसका ऐसा करना कुदरती बात है और ऐसा करने पर उसे कमाल दर्जे की खुशी व शांति प्राप्त होती है लेकिन जो लोग सिर्फ दूसरों की देखा देखी ऐसा करते हैं उन्हें इस तरह का तजुर्बा नहीं होता ।
किसी प्रेमी के अपने प्रीतम से मिलने पर लोहे के टुकड़े के चुम्बक से स्पर्श करने पर या किसी छोटे बच्चे के अपनी बिछुडी माता के सम्मुख आने पर क्या क्या हालत होती है इसका बयान में लाना कठिन है। यह बात जाति तजरूबे ही से समझ में आ सकती है।
🙏🏻 राधास्वामी 🙏🏻
सत्संग के उपदेश भाग- तीसरा**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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