20 -03 -2020 :-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे
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यह मन बड़ा चालाक है। बाज लोग कंबल ओढ़ कर मक्खियों के छत्ते से शहद निकालते हैं, ऐसे ही बहुत से आदमी जाहिरी सादगी व दीनता का लिबास पहनकर अपने लिए दुनिया के सुख के सामान बहम पहुंचाया चाहते हैं ।सत्संगी को मन के इस फरेब से होशियार रहना चाहिए । इसके लिए मुनासिब है कि अपने हर काम सफाई पर ईमानदारी से करें और मौज से जो कुछ खाने व ओढने के लिए मिले उसे खुशी से मंजूर करें लेकिन याद रखें कि लाखों की आमदनी रहते हुए चार पैसे में गुजर करना कंजूसी व कमबख्ती भक्ति की अलामत है और चार पैसे की आमदनी मंत्री रहते हुए लाखों के खर्च का ख्याल उठाना मूर्खता व हविस की निशानी है ।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 ( सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा)*
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