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प्रस्तुति - कृति शरण
: *मिश्रित बचन*
*(सतसंग के उपदेश, भाग-1)*
3 - जब कभी कोई तकलीफ़ सिर पर आवे तो मत घबराओ*
*क्योंकि तुम अकेले नहीं हो ;*
*हुज़ूर राधास्वामी दयाल तुम्हारे अंग-
संग रक्षक व सहायी मौजूद हैं।*
*यह सच है कि दुनिया के सब काम
हमेशा तुम्हारी मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ नहीं हो सकते,*
*लेकिन याद रक्खो कि उन दयाल की रक्षा का पंजा सिर पर रहते हुए तुम्हारा कभी असली परमार्थी बिगाड़ भी नहीं हो सकता।*
*अगर मौज कभी तुम्हारे मन की गढ़त करने की होगी तो भी दया का हाथ तुम्हारे अंगसंग रहेगा :--->*
*''गुरु कुम्हार शिष कुंभ है,*
*गढ़ गढ़ काढ़ें खोट।*
*अन्तर हाथ सहार दे,*
*बाहर बाहें चोट॥''*
*5 -* सच्चे प्रेमीजन को चाहिये कि अपने सभी धर्मों का ख़ुशी से पालन करे और धर्मपालन के सिलसिले में अगर उसे कभी दुख तकलीफ़ सहनी पड़े तो ख़ुशी से मंज़ूर करे।
*ऐसा न होना चाहिये कि तकलीफ़ की सूरत नमूदार होते ही वह धर्म से पतित हो जावे।*
ऐसे मौक़ों पर दिल को मज़बूत रखने से भारी परमार्थी तरक़्क़ी होती है और *जल्द ही प्रेमीजन मालिक का गहरा दयापात्र बन जाता है।*
6 -* पिछले बुज़ुर्गों की जो तालीम है वह अव्वल तो ऐसी भाषा में है कि जिसका समझ लेना हर किसी के लिये आसान नहीं है, और दूसरे ख़ुदमतलबी लोगों ने उसके अन्दर ऐसी मिलावट कर दी है कि असल और मिलावट का छाँट लेना निहायत कठिन हो गया है।
*सतसंगियों के बड़े भाग हैं कि उनके लिये हुज़ूर राधास्वामी दयाल की शिक्षा सरल और निर्मल रूप में मौजूद है और हमेशा मौजूद रहेगी।*
*🙏🙏🙏राधास्वामी🙏🙏🙏*
.........राधा स्वामी जी........
*अगर हम परमात्मा से मिलने वाली हर चीज को उसकी बख्शीश उसकी अमानत समझकर अपनाएँ तो वह- वह चीज पवित्र हो जाती है अपमान सम्मान बन जाता है कड़वाहट मिठास बन जाती है और अंधेरा प्रकाश बन जाता है हर एक चीज में परमात्मा की महक आने लगती है.....*
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।।।।।।।।
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