राधास्वामी !!
28-03 -2020 -
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे -(92) का शेष:
- लोग डालियों को तराशने की फिक्र तो करते हैं लेकिन जड के काटने का ख्याल नहीं करते मगर हर मनुष्य की प्रकृति के संग भी प्रीति सदा कायम नही रह सकती। अगर ऐसा होता तो सृष्टि की कोई भी शक्ति मनुष्य के मोह अंग को नाश न कर सकती और मनुष्य के लिए मोक्ष प्राप्त करना असंभव रहता और संतो व महात्माओं का संसार में तहसील लाना निष्फल ठहरता। लेकिन असली सूरत यह है कि अक्सर मनुष्यों की प्रकृति के संग प्रीति नाश की जा सकती है और सत्संग में दया से यही इंतजाम है हमारी बाहरी उपदेश व अंतरी तजरुबो द्वारा प्रेमी जनों के इस रोग का नाश करते हैं। संसार के मोह की जड कट जाने पर प्रेमी जन यों तो बदस्तूर हरा भरा दिखलाई देता है लेकिन दरअसल उसकी हालत एक कटे हुए वृक्ष की सी होती है और दिन ब दिन उसकी हरियाली कम होती जाती है और उसके अंदर संसार के मोह का नया जहर दाखिल होनें नही पाता। जिन प्रेमी जनोंं की ऐसी हालत हो गई है वे निहायत बड़भागी है। वे बेखौफ जीवन व्यतीत करें और मालिक का गुणानुवाद गावें।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश भाग तीसरा
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:- (1) मैं तो आय पडी परदेस। गैल (रास्ता) कोई घर की बता दीजो रे।। (प्रेमबानी-3-शब्द-8,पृ.सं.205) (2) सखी री मैं तो जावत हूँ पिया देश।।टेक।। पढ पढ पोथी बहु थक हारी। साँचे सुख का मिला न लेश।।
(प्रेमबिलास-शब्द-88,पृ.सं.126 ) (3) सतसंग के उपदेव भाग-तीसरा-कल से आगे।। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।।।
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