Friday, March 20, 2020

राधास्वामी मत संदेश, दयालबाग आगरा




प्रस्तुति - अनामी शरण बबल /स्वामी शरण /
आत्म स्वरूप /संत ऊ

*राधास्वामी मत संदेश
(परम गुरु हुज़ूर महाराज)

नीचे दर्जे के मालिकों और औतारों और देवताओं की पूजा का बयान और उसका नतीजा
            97- जो लोग कि औरों को, यानी देवताओं और औतारों को, मालिक समझ कर मान रहे हैं,उनका पूरा और सच्चा उद्धार नहीं हो सकता है। और जो परमेश्वर, ब्रह्म या ख़ुदा को कुल मालिक समझते हैं, वे भी सच्चे कुल मालिक राधास्वामी दयाल से बेख़बर हैं और इस वास्ते वे भी माया के घेर से बाहर नहीं जा सकते और इस सबब से जन्म मरन के चक्कर से नहीं बच सकते, क्योंकि ब्रह्म और ईश्वर और परमेश्वर या परमात्मा, सब सत्तपुरुष राधास्वामी दयाल की एक एक कला हैं और माया के संग मिले हुए हैं, यानी उससे मिल कर रचना की काररवाई कर रहे हैं। उनके लोक में जो कोई उनकी भक्ति करके पहुँचेगा, वह बहुत काल के लिये सुखी हो जावेगा, पर जन्म मरन से बचाव नहीं होगा।
            98- और जितने औतार हुए हैं, वे सब ब्रह्म या विष्णु के हुए हैं और ब्रह्मा, विष्णु और महादेव, यानी तीनों गुण, बड़े देवता हैं और बाक़ी देवता इनसे उत्पन्न हुए। इस वास्ते जो कोई इनकी भक्ति करेगा, वह इनके लोक में पहुँच सकता है, मगर इनका लोक अमर नहीं है और न वहाँ की रचना अमर है। इस सबब से जन्म मरन से छुटकारा नहीं हो सकता है। और बनिस्बत ब्रह्म और परब्रह्म और शक्ति के देश या लोक के, देवताओं और औतारों के लोकों में उम्र भी थोड़ी है यानी वहाँ जन्म मरन जल्द होता है और सुख भी ऊपर के लोकों की निस्बत कम है।
            99- इस वास्ते मुनासिब है कि जब कोई परमार्थी काम करना चाहे, तब अच्छी तरह से निर्णय करके अपने सच्चे मालिक की पहचान करे और दूसरों का पक्ष छोड़ कर, सच्चे मालिक की सेवा और भक्ति इख़्तियार करे, तब पूरा फ़ायदा होगा। क्योंकि भक्ति भाव सब जगह बराबर और एकसाँ बरतना पड़ेगा, पर फल यानी फ़ायदे में हर एक के फ़र्क़ होगा।
            100- और जो कोई असली रूप और धाम औतारों और देवताओं से बेख़बर हैं और सिर्फ़ उनकी नक़ल यानी मूरत की पूजा और भक्ति करते हैं और असल का खोज नहीं करते, वे असल को नहीं पा सकते। इस वास्ते उनको उस क़दर सुख भी नहीं मिल सकता जिस क़दर कि असल के पूजने वालों को मिलता है इनकी सीढ़ी बहुत नीची है।
राधास्वामी

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