**राधास्वामी!! 06-09-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ
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(1) पूरन भक्ति देव गुरु दाता। सुरत रहे तुम चरनन साथा।।-(सुन्न सिखर चढ तन मन वारूँ।चन्द्र चाँदनी चौक निहारुँ।। ) (प्रेमबानी-3-शब्द-19,पृ.सं.362)
(2) गुरु का संग मोही मिलिया कोई बड भाग जागा है। जगत का संग मन तजिया चरन में गुरु के लागा है।।-(चरन सेवक मेरे गुरु के सभी इक दिन यह गति पावें। परम गुरू राधास्वामी दाता उन ही यह भेद भाखा है।। ) (प्रेमबिलास-शब्द48,पृ.सं.60)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-( 101)-
वह धर्मानुसार और परिश्रम -द्वारा उपार्जित धन के कल्याणकर गुणों से अभिज्ञ होने के कारण अपने पसीने की कमाई में निर्वाह करता है और उसका एक अंश अपनी प्रमार्थी आवश्यकताओं पर खर्च करता है।
और जो कि उसे अधिक चिकने -चुपडे आहार करने और चमक-दमक के वस्त्र पहनने का व्यसन नहीं है इसलिए वह अपनी थोड़ी सी आमदनी ही में सुखी रहता है।
मदिरा माँस आदि हानिकर वस्तुओं के व्यवहार और मन के विकारी अंगों में बर्ताव के परिहार से उसकी आवश्यकताएँ परिमित और चिंताएँ शांत रहती है । एवं सतगुरु और कुलमालिक के चरणो के प्रेम का स्रोत खुल जाने से वह निरंतर प्रफुल्लित रहता है।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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