Wednesday, December 2, 2020

दयालबाग़ सतसंग शाम 2/12

 **राधास्वामी!! 02-12-2020- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-                                  

  (1) प्रेमी रहियो रे हुशियार। माया घात बचाय।।टेक।। यह मन माया दोउ संसारी। जीव गये इन हाथ ठगाय।।-(राधास्वामी दीन दयाल कृपानिधि। माया काल से लेहिं बचाय।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-6- पृ.सं.42,43)                                                              

(2) अजब जहाँ के बीच काल ने जाल बिछाया अपना है। अंग अंग से बँधे जीव सब छुटन भया अति कठिना है।। (प्रेमबिलास-शब्द-100-पृ.सं.144,145)                                                    

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।         🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!! 02-12 2020 -आज शाम  सत्संग में पढ़ा गया बचन

-कल से आगे :-(73)

 सारांश यह कि आदि से अंत तक मनुष्य श्रद्धा और विश्वास ही का आश्रय लेता है।  ऐसे महापुरुष, जिनके बचन इस प्रकार बिना तर्क वितर्क के मान लिये जाते हैं, परमार्थी बोली में आप्त पुरुष कहलाते हैं ।

इस अर्थ में विद्यार्थियों के लिए उनके शिक्षक आप्त पुरुष है , शिक्षकों के लिए पुस्तकों के रचयिता, पुस्तक- रचयिताओं के लिए चोटी के वैज्ञानिक और दार्शनिक । इसी प्रकार भक्ति -मार्ग में सर्वोच्च कोटि के पुरुष आप्त पुरुष माने जाते हैं और वेही संत-मत में संत और सतगुरु शब्दों से निर्दिष्ट किये जाते हैं।

और जैसे सब संसार किसी वैज्ञानिक अथवा दार्शनिक की निकाली और जाँची हुई बातें बिना तर्क-वितर्क के प्रमाण मान के लाभ उठाता है वैसे ही परमार्थ के प्रेमी संतों और महात्माओं के अनुभव तथा अनुसंधान को प्रमाण मानकर लाभ उठाते हैं ।                               

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा

-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✌️🙏🙏

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