गंगावतरण की कथा ।
गंगावतरण से तात्पर्य है कि 'गंगा का पृथ्वी पर अवतरण'।
अयोध्या के इक्ष्वाकु वंशीय राजा भगीरथ के कठिन प्रयत्नों और घोर तपस्या से ही गंगा का पृथ्वी पर अवतरण सम्भव हुआ था। भगीरथ के पूर्वज राजा सगर के साठ हज़ार पुत्र कपिल मुनि के तेज से भस्म हो जाने के कारण अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए थे। उनके भस्म हो जाने से उस स्थान पर साठ हज़ार राख की ढेरियाँ लग गईं। अपने पूर्वजों की शांति के लिए ही भगीरथ ने घोर तप किया और गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने में सफल हुए। पूर्वजों की भस्म के गंगा के पवित्र जल में डूबते ही वे सब शांति को प्राप्त हुए।
(क्या आज की गंगा प्रदूषित हो चुकी ,उसको स्वछ करना हमारा कर्तव्य हे )
पूर्ण अनुभव के लिए यहा जाए -
http://mobi.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%A3
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