**राधास्वामी! 04-09-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सुरत सुहागिन करत आरती ।
तन मन धन गुरु चरन वारती ॥१ ॥
कँवल कियारी थाल सजाती ।
धुन फुलवार जोत जगवाती ॥२ ॥ फूल फूल कर सन्मुख आती ।
कली कली मन विगस धराती ॥ ३ ॥
गुरु दरशन कर अति हरपाती ।
भूषण बस्तर बहु पहिनाती ॥४ ॥
गुरु शोभा मन अधिक मुहाती ।
उमँग बढ़ाय गगन को जाती ॥ ५ ॥ सहसकँवल फुलवार खिलाती । त्रिकुटी चढ़ गुरु दरशन पाती ॥६।। सुरत चमेली सुन में खिलाती । भँवरगुफा चढ़ बंस बजाती ॥ ७ ॥
सूरजमुखी सेत दरसाती ।
सत्तलोक धुन बीन मुनाती ॥ ८ ॥
अलख अगम के पार पराती ।
परम पुरुष का दरशन पाती ॥ ९ ॥
आरत कर गुरु बहुत रिझाती ।
दया मेहर परशादी पाती ॥१० ॥
तन मन से नाता तुड़वाती ।
राधास्वामी चरनन माहिं समाती ॥११ ॥ (प्रेमबानी-1-शब्द-12-
पृ.सं.148,149)
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