Tuesday, March 17, 2020

आज 17/03 को शाम का सत्संग / जोनल सत्संग - बचन




प्रस्तुति - सपन कुमार

[17/03/-2020

*राधास्वामी!! 17-03-2020
                     
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-                                                                                     
(1) राधास्वामी छबि मेरे हिये बस गई री ।।टेक।। (प्रेमबानी-3,शब्द-5,पृ.सं.198)                                                                                   
 (2) गुरु का नाम जपो प्यारी। रुप गुरु घट में संभारी।।  जाय कर निरखें ज्योति निशान। खुले फिर लाल सूर अस्थान।। (प्रेमबिलास-शब्द-82,पृ.सं. 116)                                                                                        (3)  सतसंग के उपदेश भाग तीसरा-कल से आगे:-               

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*


*राधास्वामी!

! 17-03-2020-

जोनल सतसंग में पढे गये पाठ:

-(1) करूँ आरती राधास्वामी। तन मन सुरत लगाय।।।                               

 (2) साहब इतनी बिनती मोरी। लाग रहे दृढ डोरी।।

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*


*राधास्वामी

17 -03- 2020

 आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे
( 83)

- इस जमाने में जबकि परमार्थ जीविका के अधीन हो रहा है अकेले-दुकेले आदमी बाहरी त्याग का जीवन व्यतीत कर सकते हैं लेकिन यह मुमकिन नहीं है कि कोई जमाअत यह लक्ष्य सम्मुख रखकर आराम से जीवन व्यतीत कर सके। पिछले जमाने में इस देश के निवासियों ने बाहरी त्याग पर बहुत जोर दिया जिसका नतीजा यह हुआ कि वे स्वार्थ की दौड़ में दूसरों से पीछे रह गये और पश्चिमी लोगों ने बाहरी अनुराग पर बहुत जोर दिया जिससे वे प्रमार्थ की दौड़ में पीछे रह गये।

 सत्संग का लक्ष्य यह है कि परमार्थ व स्वार्थ दोनों को मुनासिब बढ़ाई दी जाए ताकि जीव का संसार में भली प्रकार निर्वाह हो और त्याग फल की बासना का होना चाहिए, न कि परिश्रम व धर्म का। पिछले जमाने के बुजुर्गों का भी यही उपदेश था लेकिन लोगों ने उनका असली मतलब न समझ कर उल्टे मानी लगा लिए ।

जीव संसार के पदार्थों में मोह कायम करके बंधन में फँसता है और उनके साथ कार्य मात्र बर्ताव करके जिंदगी का लुत्फ उठाता है।।                     

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

 (सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा)*

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।।।।।














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