प्रस्तुति - उषा रानी
/राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा
*परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
- सतसंग के उपदेश-
भाग-1-
कल का शेष:-
मसलन हर सोसाइटी में प्रधान व सेक्रेटरी के दो ओहदे होते हैं लेकिन सोसाइटी के बहुत से मेंबर इन ओहदो के ख्वाहिशमंद हो जाते हैं।
कुछ अर्सा तक तो उनके दिल ही दिल में ईर्ष्या की आग से सुलगती है लेकिन मौका मिलने पर यह खौफनाक सूरत में नमूदार हो जाती है। अपने मुल्क को इस किस्म के नाश करने वाली आगों से बचाने के लिए इंग्लिस्तान के बाज राजनीति समझने वालों ने " कसरत राय से चुनाव" का तरीका निकाला और धीरे-धीरे यह तरीका सब देशों में फैल गया लेकिन इस जमाने में कसरत राय हासिल करने के मुतअल्लिक़ जो जो हथकंडे व चाले इस्तेमाल की जाती हैं उनका भेद प्रकट होने पर और उनके जरिए लीडरी के नाकाबिल लोगों के बड़े रुतबे पाने से जो मुसीबत व तबाही सोसाइटी के सिर आती है।
उसको मुलाहिजा करके दुनिया के नीति जानने वाले हैरान हैं कि इस नई मुसीबत से कैसे रिहाई हो ? कोई मुनरो के उसूलो पर जोर देता है, कोई मसोलिनी की तरफ उँगली दिखाता है, कोई कमालपाशा के तरीकों की तारीफ करता है, कोई ऋषियों की प्राचीन शिक्षा की तरफ तवज्जह दिलाता है, कोई चरखे से बेहतरी की उम्मीद बाँधता है और कोई कौंसिलों में कसरत राय की मार्फत सब बीमारियों के इलाज की उम्मीद रखता है।
इंसान बेचारा करें तो क्या करें? ना जाने का उपाय है ना रहने का ठिकाना वाली बात है । बाज लोग यह कहते हैं कि वक्त आ गया है कि गैब से कोई गैर मामूली काबिलियत का पुरुष अवतार धारण करें और दुनिया से मौजूदा गंदगी दूर करके इंसान के गुजारे की सूरत निकालें।
सच पूछो तो यह सब फसाद दुनिया से तभी दूर होंगे जब मुख्तलिफ मुल्कों के लोगों के नुक्तए निगाह में मुनासिब तब्दीली होकर उन्हें दुनिया के चंद रोजा व बेहैसियत भोगों के बजाय सच्चे मालिक का चरणरस प्यारा लगने लगेगा वह रस अथाह व अपार है। उसके तलबगारों को 'एक अनार सौ बीमार" के मसले की मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ता।
🙏🏻 राधास्वामी 🙏🏻*
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। राधास्वामी
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