Monday, March 16, 2020

बचन / 14 और 16 मार्च - 2020 को पढा गया





प्रस्तुति - स्वामी शरण /आत्म स्वरूप /
             संत शरण /मेहर स्वरूप

[14/03, 16:26]


*राधास्वामी!!
14-03 -2020


आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 82)-

 सत्संग की शिक्षा थोड़े से शब्दों में बयान की जा सकती है और चार या पांच बातों के समझ लेने से सब शिक्षा समझ में आ जाती है।  पहली बात यह है कि सत्संग से सिखलाता है कि ऐ इंसान! तू संसार के सामान अच्छी तरह भोग, तुझे कोई मना नहीं करता लेकिन तू अपनेतई उन में उलझा मत यानी अपनेतई उनका दास मत बना। तू पानी पी, पानी में स्नान कर , तैर और पानी का आनंद ले लेकिन पानी में डूब मत।  तू कपड़े पहन, ओढ और बिछा , बढ़िया से बढ़िया कपड़े इस्तेमाल कर लेकिन अपनेतई कपड़ों से जकड़बंद मत कर। दूसरी बात यह सिखलाता है कि ऐ इंसान ! अपने शरीर को स्वस्थ व स्वच्छ रख और उसकी मुनासिब रक्षा कर लेकिन उसे अपना असली स्वरूप मत जान।  यह शरीर सिर्फ तेरे आत्मा का वस्त्र है।  एक दिन तुझे यह पुराने कंबल की तरह उतार कर फेंकना होगा।   

                  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 !1603! 16-03 -2020 आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया

बचन- परसों से आगे-

( 82)-

इसमें बंधन कायम करना गलत व नामुनासिब है।
तीसरी बात यह सिखलाता है कि ऐ इंसान! तू संसार में आवारागर्दी के लिये नही  बल्कि खास उद्देश्य के लिए भेजा गया है और वह उद्देश्य यह है कि तू अपनी आध्यात्मिक शक्तियां स्कूल आंखों के खुलने पर मनुष्य को दर्शन हो जगावे।

जैसे स्थूल आँखो के खुलने पर मनुष्य को सूर्य का प्रत्यक्ष दर्शन हो जाता है ऐसे ही आध्यात्मिक शक्तियो के जगने पर तुझको सुरत की आँखों से तेरे परमपिता का दर्शन प्राप्त होगा और फिर तू इस काबिल हो जाएगा इस मलीन व झूठे लोगों के देश से हटकर निर्मल चेतन देश में दाखिल हो और तेरी सुरत सच्चे मालिक से मेल हासिल करें ।

 तीसरी बात सुनने पर जिज्ञासुओं के दिल में स्वाभाविक तौर पर सवाल पैदा होगा कि वह अपनी आध्यात्मिक शक्तियां कैसे जगावेँ। चौथी बात जो राधास्वामी मत सिखलाता है उसमें इस सवाल का जवाब है ।

वह यह है कि ऐ इंसान ! तू किसी कामिल उस्ताद की शरण ले यानी किसी ऐसे महापुरुष की शार्गिदगी इख्तियार कर जिसे वह गति जिसका ऊपर जिक्र हुआ , पहले ही प्राप्त है। इस पर जिज्ञासु यह दरयाफ्त करेगा कि ऐसे महापुरुष को कहाँ तलाश करें ।

इसके जवाब में राधास्वामी मत बतलाता है कि अव्वल अपने घर में तलाश कर , वहां ना मिले तो अपने शहर या कस्बे में ढूंढ, वहाँ ना मिले तो अपने सूबे में ,अपने मुल्क या जहां कहीं उनकी मौजूदगी का पता चले वहां जाकर तलाश कर।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻    (सत्संग के उपदेश भाग तीसरा)

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