Saturday, December 5, 2020

रोजाना वाक्यात 06/12

 परम गुरु हजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाकिआत- 13 मार्च 1933- सोमवार:-


शाम को 5:00 बजे भगत ईश्वरदास साहब ने कॉलेज हॉल में लेक्चर दिया।  विद्यार्थी और बहुत से सत्संग हाजिर थे। मैं भी शरीक हुआ। भगत जी साहब का दिल दुनिया का खराब हाल देखकर निहायत दुखी हैं।

आप यह खराबी दूर करने का एक इलाज प्रस्ताव करते हैं। वह यह है कि दुनिया वेदों पर अमल करने लगे । और दुनिया तब कार्य करेगी जब भारतवासी वेदों की तालीम पर चलकर स्वयं को औरों से बेहतर बना लें। आखिर में आपने दयालबाग वालों से अपील की कि वेदों का अध्ययन करें और वेदों के निर्देशों पर चलें।

 प्रतिष्ठित लेक्चरर का शुक्रिया अदा करते हुए मैंने कहा मगर दुनिया के लिए मुश्किल यह है कि वेदों का कोई प्रमाणित तर्जुमा नहीं है। अब अवाम कैसे वेदो की हिदायत से वाकफियत पैदा करें?  इसलिए मुनासिब होगा कि जो लोग वेदों को ईश्वरकृत  मानते हैं वह अव्वल वेदों का मुख्य तर्जुमा तैयार करें और वेदों की तालीम पर कार्यरत होकर अपने स्वंय दूसरों से बेहतर हालत में दिखलायें। दयालबाग निवासी क्या कुल दुनिया वेदों की शरण लेगी।

भगत जी ने राजी नहीं है मुश्किल तस्लीम की। लेक्चर के बाद आपको फैक्टरियाँ दिखलाई गई। जिन्हे देख कर आप बहुत खुश हुए और आपने वादा किया कि जहाँ जायेंगे लोगों को दयालबाग की शिल्पो के पोषण की जानकारी के लिये प्रेरणा देंगे। ख्वाहिश जाहिर की कि मुल्के हिंद में जगह-जगह दयालबाग कायम की जावें। मैने अर्ज किया- हिंदुस्तान में बेचारे सतसंगी मुट्ठी भर से ज्यादा नहीं है ।

अगर उन्होंने एक दयालबाग भी बना लिया तो गनीमत समझाना चाहिये। बेहतर न होगा कि बहुत से आर्यसमाजी भाई जो अपनी ताकत व लियाकत का एक बड़ा जुज्ब राधास्वामी मत की विरोध और सतसंगियों की नाहक दिलाजारी पर खर्च कर रहे हैं इस जानिब तवज्जुह दें ।।                                     🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

【 शरण आश्रम का सपूत 】

कल से आगे:-

इंस्पेक्टर जनरल -कभी समुंदर एक कूजे में आ सकता है?  शोभावन्ती-

अगर कूजा समुंदर के किनारे पड़ा हो और समुंदर की एक लहर बढ़कर उसे पानी से भर दे तो कूजे के अंदर समुंदर ही तो होगा या अगर बिजली की कुव्वत जो संसार भर में व्यापक है, किसी लैंप की मार्फत अपना इजहार करें तो यही तो कहा जाता है कि बिजली लैंप के अंदर अपना इजहार कर रही है। मगर क्या उस वक्त तमाम बिजली उस लैंप में आ जाती है?  इसी तरह मालिक तो बदस्तूर जहाँ का तहाँ रहता है- उसकी एक धार इस पृथ्वी पर उतरकर अपना इजहार मनुष्यरूप में करती है -इसी को मालिक का अवतार धारण करना कहते हैं । डायरेक्टर -वह धार मनुष्यरूप क्योंकर धारण करती है?  शोभावन्ती- जितने भी मनुष्यरूप है वे सुरतों ने तो धारण किये हैं और सुरत व मालिक का जौहर एक है- मालिक की जो धार उतर कर आती है वह बमंजिला एक सुरत ही के होती है यानी वह अपनेतई एक सुरत के पैमाने में घटाकर उतरती है । मेम साहिबा- शाबाश शाबाश समुंदर के एक कतरे का और कुल समुंदर का कीमियाई मसाला एक ही होता है। क्रमशँः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे -(17) कभी ऐसा होता है कि भजन के वक्त अभ्यासी की आँखों में या माथे में दर्द होने लगता है, तो ऐसे वक्त चाहिए कि भजन और ध्यान छोड़ देवै। फिर दूसरे वक्त तीन-चार घंटे बाद करें और जो मौका होवज तो घंटे दो घंटे आराम कर लेवे। इससे वह दर्द दूर हो जावेगा ।।                                                              यह दर्द इस सबब से पैदा होता है कि अभ्यासी जोर देकर अपने मन और सुरत को ऊपर की तरफ से या अपनी आँखों की पुतलियों को जोर से ऊपर की तरफ को ताने और और चढ़ावे ।  सो यह बात मुनासिब नहीं है । अभ्यासी को चाहिए कि यह काम धीरज के साथ, जिस कदर कि बर्दाश्त होती जावे , करें और ज्यादा जोर न लगावे क्योंकि ज्यादा जोर लगाने में खून ऊपर की तरफ चढता है, और रगों में साधारण से ज्यादा भर कर दर्द पैदा करता है।

क्रमशः                       

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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