*दिनांक 09.03.2021 को**परम पूज्य हुज़ूर प्रो0 प्रेम सरन* *सतसंगी साहब के** पावन जन्मदिवस के अवसर पर* *उनके द्वारा फ़र्माया गया अमृत बचन*.
*(सायंकाल कृषिकार्य के दौरान)*
*Purest और Impurest Nether-pole के जो क़रीब थे और* *जो Forever Blissful Monolith of North-pole की ओर कार्यवान हैं, ये तो निरंतर चलने वाली स्थिति है पर अब static न होकर dynamic equilibrium में है। और उसमें सहूलियत बढ़ती जाएगी- dynamic equilibrium में । सब नहीं आते lowest part में। जिनको* *ज़्यादा विश्वास है, जिनको संत सतगुरु का अवतार कहते हैं, वो यहाँ आकर के उन लोगों को सम्भालते हैं और सम्भालने के लिए उनसे बढ़कर विपत्तियाँ अपने ऊपर लाद लेते हैं। अब ये process चल रहा है। अभी तो उसका अंतिम स्वरूप उभर कर आने की कोई उम्मीद नहीं है। जितना भविष्य के प्रति हमारा दृष्टिकोण है उसके अनुरूप और आगे चल कर हमने इनको हिसाब-किताब रखने की स्वतंत्रता दे दी तो हमारा आपस में बैर नहीं है। अब इसी प्रकार अगर हम और सहभागिता करेंगे तो हम अपने भक्तिमार्ग पर चलते हुए सबके लिए सर्वश्रेष्ठ electrodynamic* *equilibrium का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं, वही स्थिति है। और उसमें भी अब हमेशा के लिए जो Trinity सबसे ऊपर है उसका निरूपण कर दिया गया है। उससे नीचे की ज़रूरत नहीं होगी। सबकी अपेक्षा उसकी जड़ों में निष्क्रियता से परम उत्कृष्टता प्राप्त करने की होने से यह जो विधि है वह तीव्रता से अपना साक्षात्कार कराएगी। और ये चीज़ें human* *Microcosm में तो इसी जन्म में मिल चुकी हैं और मिलती रहेंगी। पर Macrocosm में तो उसके लिए असंख्य समय लगेगा और लगता रहेगा। वो स्थिति* *भी Macrocosm की हमेशा के लिए होगी और सब जगह वैसा ही शासन-प्रशासन का सिद्धांत व्यवहारिक रूप में पालन किया जायेगा। एक ही अंतर होगा कि ये सब के सुख-दुःख में समान सहभागिता से सरंजाम दिया जायेगा। इन सीमाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करके ये "सुरत शब्द योग" जो* *पहले "प्राणायाम" द्वारा प्रचलित था अब "सहज सुरत शब्द योग मार्ग" के नाम से राधास्वामी दयाल द्वारा प्रशासित है और वही बिना किसी धोखाधड़ी के आपके गंतव्य सुसंगत व्यवस्था की ओर गतिशील है और सदैव-सदैव बनी रहने वाली गतिशीलता प्राप्त करने के सुअवसर पर निश्चित रूप से अग्रसरित है।"*
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