*राधास्वामी!!21-03-2021-(परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज (भंडारा अवसर)- आरती में पढे गये पाठ:-
(1) राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी गाऊँ। नाम पदारथ नाम पदारथ नाम पदारथ पाऊँ।
-(सत्तनाम धुन निज कर पाई।
राधास्वामी भेद जनाई।।)
(सारबचन-शब्द-तीसरा-पृ.सं.569,570-विशाखापत्तनम-दयालनगर ब्राँच-319 उपस्थिति)
(2) आज मेरे आनंद होत अपार। आरती गावत हूँ सार।।-(मिला राधास्वामी का दीदार। करूँ अब निसदिन उन दरबार।।) (सारबचन-शब्द-4-पृ.सं.180,181)
आरती के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।
(1) अचरज आरत गुरु की धारूँ। उमँग नई हियज छाय रही री।।-(राधास्वामी मेहर से हिये में सबके। छिन छिन प्रेम बढखय रहे री।। )
( प्रेमबानी-4 शब्द-9, पृ.सं.36,37-रानी साहिबा जी पार्टी)
(2) आओ री सखी जुड होली गावें। कर कर आरत पुरुष मनावें।।-(अस होली कहो कौन खिलावें।राधास्वामी भेद बतावें।।)
(सारबचन-शब्द-12-पृ.सं.852,853 हुजूर मेहताजी महाराज फैमली पार्टी ।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
1
*गुरु के दरस पर मैं बलिहारी । गुरु के चरन मेरे प्रान अधारी ।। 1।।*
*गुरु के बचन मेरे हिये सिंगारी । गुरु सरूप दिन रैन सम्हारी ।। 2।।*
*गुरु का सँग कर छिन छिन प्यारी । गुरु का रँग ले नैन निहारी ।। 3।।*
*अस पिरीत सतगुरु सँग ला री । कर प्रतीत घट होत उजारी ।। 9।।*
*राधास्वामी कही जुक्ति यह
सारी । उनके चरन से प्रेम लगा री ।। 11।।*
*(सारबचन, ब. 4, श.7)*
*24 जून, 1950 को रात के सतसंग में फ़रमाया-
जैसा कि आज का दिन है ऐसे दिन पहले भी आये और आगे भी आवेंगे।* *हम लोगों का यह फ़र्ज़ है कि आज हम यह सोचें कि कौन सा काम करने का ढंग हमें ग्रहण करना चाहिए जिससे पहले गुरु साहबान की याद हमारे दिल में ताज़ी रहे और उनकी सेवा में हम श्रद्धा व भक्ति के फूल भेंट कर सकें। मेरे विचार में उनकी सबसे बढ़ कर याद यही है कि उन्होंने जो बचन फ़रमाये और भविष्य के लिये जो बातें उन्होंने कहीं वे सब पूरी होती नज़र आवें।*.
*हम ख़ुशी के साथ उनके चरण कमलों में धन्यवाद व शुकराना पेश करें कि हमने उनके बचनों को पूरा होते हुए देखा।न सिर्फ़ यही बल्कि हम यथासंभव उनके काम को पूरा करने की कोशिश करते रहें।अगर सब लोग इसी तरह उनके काम को पूरा करने का बचन दें और यह ख़याल रक्खें कि हम किसी तरह उसमें बाधक तो नहीं हो रहे हैं तो उनका कहा हुआ कोई काम ऐसा नहीं है जो पूरा न हो सके।
हुज़ूर राधास्वामी दयाल अपनी दया व मेहर से लोगों में और यहाँ की शक्तियों से ऐसी हालत पैदा कर देते हैं कि वह काम पूरा हो जाये इसलिए यहाँ के लोगों को चाहिए कि उनके बचनों को पूरा करने के लिये हर रोज़ आगे क़दम बढ़ाते जावें। अगर आप लोग ऐसा करेंगे तो आप देखेंगे कि उचित समय पर वह काम पूरा हो जायेगा।
और हम उनकी याद अपने दिल में ताज़ा रखते हुए उनके चरण कमलों में आज के दिन श्रद्धा व भक्ति के फूल करने के योग्य बन सकेंगे।
*(बचन, परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज
भाग 2, बचन 34)
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