**राधास्वामी!! 19-03-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) मेरे प्यारे गुरु दातार। मँगता द्वारे खडा।।
राधास्वामी पिता हमारः जल्दी पार किया।।)
(प्रेमबानी-1-शब्द-6-पृ.सं.113,114)
(2) प्रेम की दौलत अपर अपार।प्रेम से मिलता सिरजनहार।।
-(प्रेम बिना सब थोथी कार। प्रेम से उतरे भौजल पार।।
प्रेम की बख्शिश दें राधास्वामी।।)
(प्रेमबानी-4-शब्द-8-पृ.सं.137)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।
सतसँग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।।
(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी!! 19-03 -2021-
आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे:-(192)
-वेदों में स्थान स्थान पर विभिन्न लोकों का उल्लेख है । जैसे यजुर्वेद अध्याय 13 के चौथे मंत्र में वर्णन है-" हे मनुष्यों! जो सृष्टि के पूर्व सब सूर्यादि तेजवाले लोकों का उत्पत्तिस्थान आधार और जो कुल उत्पन्न हुआ था, है और होगा उसका स्वामी था, है और होगा, वह पृथ्वी से लेकर सूर्यलोक पर्यंत सृष्टि को बना के धारण कर रहा है" इत्यादि (पृष्ठ 187 'सत्यार्थप्रकाश' हिंदी, सातवाँ समुल्लास)।
इसके अतिरिक्त पृष्ठ 263 पर नौवें समुल्लास में मुक्त पुरुष के संबंध में आया है- "वह मुक्त जीव अनंत व्यापक ब्रह्म में स्वच्छंद घूमता, शुद्ध ज्ञान से सब सृष्टि को देखता, अन्य मुक्तों के साथ मिलता, सृष्टि विद्या को क्रम से देखता हुआ सब लोक-लोकान्तरो में अर्थात जितने ये लोक दीखते हैं और नहीं दीखते उन सब में घूमता है"।
वैदिक धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए इन विवरणों से सिद्ध है कि इस पृथ्वी के अतिरिक्त और भी लोक- लोकांतर हैं ऐसे भी लोक हैं जो दृष्टिगत नहीं होते ।क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश -भाग दूसरा-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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