राधास्वामी!! 26-03-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) मेहर होय कोइ प्रेमी जाने ऐसा गुरु हमारा।।-(जा पर मेहर करी राधास्वामी (घट) अंतर रुप निहारा।।) (प्रेमबिलास -शब्द-97,पृ.सं.139-बोलारम ब्राँच-146 उपस्थिति)
(2) राधास्वामी सत मत जिसने धारा। सहज हुआ उन जीव उधारा।।-(मौज गुरु की सदा निहारे। रजा गुरु की सदा सम्हारे।। ) (प्रेमबानी-4-शब्द-10-पृ.सं.141,142)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।
सतसँग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।
(प्रे.भा. मेलारामजी!)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी!!
26-03- 2021 -आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-
(194 का शेष भाग) कल से आगे:-
सूत्र १५ के भाष्य में दीपक का दृष्टांत देकर मुक्त पुरुष के ज्ञान की महिमा इस प्रकार वर्णन की है-" जैसे एक देश में स्थित प्रदीप का अपनी प्रभा से सारे मंदिर में आवेश हो जाता है"। इसी प्रकार एक देश में स्थित जीव का ज्ञान की वृति द्वारा सारे आवेश हो जाता है"।
और फिर श्वेतास्वश्तर उपनिषद ५/९ के प्रमाण में बतलाय है-" बाल की नोक का जो सवाँ भाग हैं उस के सौ टुकडे करके उसका एक हिस्सा जीव को जानना चाहिए और (मुक्त अवस्था पाकर) वह अनंतता के लिए समर्थ होता है" ( अर्थात अनंत ज्ञान वाला हो जाता है)। इन पूर्वोक्त वचनों से निम्नलिखित ११ उपयोगी परिणाम निकलते हैं ।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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