**राधास्वामी!! 28-03-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) फागुन की ऋतु आई सखी।
आज गुरु सँग फाग रचो री।।
-(होय निहाल जाय जग पारा। चरनन सुरत धरो री।।)-
(प्रेमबानी-3-शब्द-15-पृ.सं.305-डेढगाँव ब्राँच-210-उपस्थिति!)
(2) राधास्वामी सत मत जिसने धारा।
सहज हुआ उन जीव उधारा।।
काम क्रोध अस दूर बहावे।
राधास्वामी चरन सरन लिपटावे।।-(गृहस्थ होय चहे हो बैरागी। गुरु चरनन में जो लौ लागी।।)
(प्रेमबानी-4-शब्द-10-पृ.सं.144,145)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।
सतसँग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसँग अब दिन दिन । अहा हा हा ओहो हो हो।।
(प्रे.भा. मेलारामजी)
परमिटिड पार्टियों द्वारा-
(1) होली उत्सव मना रहे है। दाता के दरबार में।।(मेहर बाग)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी!!
28-03- 2021- आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे :-(196)-
सत्यदेश का पता न पाकर असंभव नहीं है कि वेद आदी शास्त्रों पर निर्भर रहने वाले प्रेमी प्रमार्थियों के हृदयों में निराशा उत्पन्न हो, किंतु निराशता की कोई बात नहीं है। संत दयाल इस देश का संदेश देते हैं ।
संतमत में उसी को निर्मल चेतन देश कहते हैं। और सत्तलोक, अलख लोक और अगम लोक उसी मंडल के लोक हैं। जोकि यहाँ प्रकृति का लेश भी नहीं है इसलिए यहां की रचना अविनाशी, अनंत और अपार है और कुलमालिक के निज गुणों का उनमें भरपूर प्रकाश है।
जोकि वेदों के कर्ता को उस देश की खबर न थी इसलिए उसने केवल ब्रह्मलोक तक का वर्णन किया है। और संतों ने, जो चौथे धाम से तशरीफ लाये, इस मंडल और इसके स्थानों का भेद प्रकट किया। विषय के सारांश को बिजली अर्थात् विद्युत शक्ति के दृष्टांत से स्पष्ट करते हैं।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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