राधास्वामी!! 31-03-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) उमँग मन फूल रहा। गुरु दरशन पाया री।।
-(राधास्वामी मेहर टरी अब भारी। मोहि नीच को लिया अपनाया सखी री।।) (प्रेमबानी-3- शब्द-10-पृ.सं. 206,207-डेढगाँव ब्राँच-241 उपस्थिति!)
(2) राधास्वामी सत मत जिसने धारा।
सहज हुआ उन जीव उधारा।।
लाल सूर जहँ गुरु का रुपा। ओंकार पद त्रिकुटी भूपा।।-(हरष हरष स्रुत अति मगनानी। राधास्वामी चरन समानी।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-10-पृ.सं.141)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।
सतसँग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो। (प्रे. भा. मेलारामजी)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी!!
31- 03 -2021- आज शाम सत्संग में पढ गया बचन-
कल से आगे-(197-का शेष भाग)
किंतु प्रकृति न स्वयं सच्चिदानंद स्वरुप हो सकती है और न ईश्वर को अपना सच्चिदानंद स्वरूप प्रकट करने देगि। प्रकृति का आवरण ईश्वर के गुणों को दबाए ही रखेगा और परिमित और अल्प ही करेगा। इसलिए यह अनिवार्य और अपरिहार्य ठहरता है कि प्रकृति की सीमा से बाहर कहीं ईश्वर का सच्चिदानंद स्वरूप में अविर्भाव होना चाहिए।
यदि आप हठ करें कि ईश्वर प्रकृति की सीमा के भीतर ही सीमित है तो फिर आप उसे सच्चिदानंद- स्वरूप न कहें। और जोकि आप के मत के अनुसार प्रकृति और ईश्वर दोनों अविनाशी है इसलिए मानना होगा कि न इस समय ईश्वर का सच्चिदानंद स्वरूप है और न आगे चलकर कभी होगा यह हुआ प्रमाण वेदों में वर्णन किये हुए तीन लोक से परे मालिक के सच्चिदानंद या निर्मल चेतन स्वरुप की विद्यमानता का।
अब देखिए यह बात सही मानने से क्या क्या परिणाम निकलते हैं और आपके आक्षेपो की क्या दशा होती है।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश - भाग दूसरा
-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!
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death satsang of mother in law of PB.Prakash Swarup ji happened after सत्संग🙏🙏🙏
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