**राधास्वामी!! 24-03-2021-आज सुबह सतँसग में पढे गये पाठ:-
(1) करो री कोई सतसँग आज बनाय।।टेक।।
नर देही तुम दुर्लभ पाई। अस औसर फिर मिले न आय।।
-(नभ चढ चलो शब्द में पेलो। राधास्वामी कहत बुझाय।।)
(सारबचन-शब्द-4-पृ.सं.265,266-जनकपुरी ब्राँच-240 उपस्थिति।।)
(2) गुरु प्यारे चरन मोहि लगे प्यारे।। जब से राधास्वामी सरना लीनी। छुट गये करम भरम सारे।।-(क्या महिमा मैं राधास्वामी गाऊँ। कोटिन जीव लिये तारे।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-5-पृ.सं.14)
सतसँग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।
(प्रे. भा. मेलारामजी!)🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज
-भाग 1- कल से आगे:-( 51)- 13 अप्रैल 1941
को हुजूर सरकार साहब का भंडारा था उस दिन आरती के समय नीचे लिखे हुए शब्द पढ़े गये- आज मेरे आनंद होत अपार। (सारबचन- शब्द- 4)
सखी री मेरे दिन प्रति आनँद होय।।( प्रेमबानी- भाग-1- शब्द-6)
चल री सूरत अब निज घर अपने, काहे को जग में सोती है।।( प्रेमबिलास-शब्द-65)
पाठ समाप्त होने पर हुज़ूर पुरनूर ने फरमाया- आपने पिछले साल बसंत के मौके पर हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में प्रार्थना की थी कि वह दयाल आपकी माली व जाती दिक्कतें दूर फरमावें।
अब आप सत्संग की मौजूदा हालत पर गौर करें और देखें कि आया पिछले साल के मुकाबले में आपकी दिक्कतों और परेशानियों में कोई कमी हुई या नहीं।
लंबी चौड़ी बातें करने से कोई लाभ नहीं। मतलब की बात थोड़े शब्दों में बयान कर देना चाहिए ज्यादा मुनासिब होता है। यह वक्त काम करने का है, बातें बनाने का नहीं ऐसी सूरत में जबकि तमाम शब्द ऐसे अनुकूल और समयानुसार निकले हो, तो उनको सुनने के बाद कोई भी शख्स ऐसा नहीं होगा जो यह कहे कि हमारी प्रार्थना हुजूर राधास्वामी दयाल के चरनों में नहीं पहुंची और मंजूर नहीं हुई । और इन शब्दों के विषय के आधार पर दृढ़ता के साथ कहा जा सकता है कि सब लोगों की माली हालत पहले के मुकाबले में बहुत अच्छी हो रही है।
हुजूर ने पहले शब्द की पहली कड़ी 'आज मेरे आनंद होत अपार' को दोबारा पढ़ने को कहा और फरमाया कि यह शब्द उस खुशहाली और तरक्की की तरफ से संगत को नसीब हुई है, संकेत करता है।
इसके बाद दूसरे शब्द की पहली को भी दोबारा पढ़वाया-
सखी री मेरे दिन प्रति आनंद होय।।
और फरमाया कि इस शब्द में जो खुशहाली और तरक्की की दशा इस समय सत्संग में प्रकट हो रही है उसको हमेशा कायम रहने के लिए प्रार्थना की गई है।
तीसरा शब्द बड़ी हिम्मत दिलाने वाला है। इसमें बयान किया गया है कि अभी तक मुझको यानी सूरत को काल-कर्म की शक्तियाँ बुरी तरह लूटती रही, तू दुखी और परेशान हाल रही और यहाँ पर कोई भी तुझ से हमदर्दी रखने वाला और तेरा हाल पूछने वाला नहीं हुआ।
लेकिन जब हुजूर राधास्वामी दयाल ने संगत की ओर तवज्जह की है और अब सबको छुटकारा पाने और स्वार्थ और परमार्थ दोनों में सफलता के साथ जीवन व्यतीत करने का ढंग बता दिया है जिससे संगत के लोग दोनों का आनंद उठाते हुए हँसते खेलते यहाँ से रवाना हों और हुजूर राधास्वामी दयाल के चरनों में समा जायँ।
एक तरह से ये शब्द संकेत करता हे कि जो समृद्धि संगत के अंदर आ रही है वह ठहराऊँ होगी और बराबर कायम रहेगी क्योंकि जब राधास्वामी दयाल ने दया करके दुःख-दर्द पूछा और उसके दूर करने का प्रबंध किया है तो फिर उनका यह प्रबंध बराबर जारी रहेगा।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
-[भगवद् गीता के उपदेश]-
कल से आगे:
- वह जल्द ही धर्मात्मा बन जाता है और सदा कायम रहने वाली शांति को प्राप्त होता है।
हे अर्जुन! तू यकीन कर कि मेरे भक्तों का कभी नाश नहीं होता । जो लोग मेरी शरण धारण कर लेते हैं वे अगर पापयोनी वाले चांडाल बगैरह, स्त्रियाँ, वैश्य या शूद्र भी होते तो भी परमगति (सब से ऊँची मंजिल) तक रसाई हासिल करते हैं।
फिर पवित्र ब्राह्मणों और भक्तिमान राजऋषियों का तो कहना ही क्या। हे अर्जुन! तुम तो इस नाशवान् और सुख से खाली दुनिया में आ पड़े हो मेरी भक्ति में लगो। अपना मन मुझ में कायम करो, मेरी भक्ति करो, मेरे निमित्त यज्ञ करो, मुझ को नमस्कार करो, इस तरह आत्मा को मुझ में जोड़ कर मेरे इच्छुक होकर तुम उसको प्राप्त होगे।
【 34】
क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**परम गुरु हुजूर महाराज
- प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:- (9)
- इस वास्ते राधास्वामी मत के किसी परमार्थी अभ्यासी को किसी हालत में निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि होशियारी के साथ अभ्यास में मन और इंद्रियों को थोड़ा बहुत रोककर रखना चाहिए। और जो कोई कसर होवे,उसके दूर करने का जतन दरियाफ्त करके उसके मुआफिक कार्यवाही करनी चाहिए।
थोड़े अरसे में हालत बदलनी शुरू होगी और जब मन और इंद्री थोडे बहुत रस के आदि हो जावेगे, तब वे आप ही अभ्यास के मुकर्रर किए हुए वक्त उस तरफ को तवज्जह के साथ लगेंगे और सब विघ्न आहिस्ता आहिस्ता दूर होते जावेंगे और आनंद और रस मिलता जावेगा।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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