परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज के संदेश
प्रातः काल उठने वाले एवं मितव्ययी, परिश्रमी , सत्यभाषी , दयावान और विचारशील , उत्तम नागरिक और हुजूर राधास्वामी दयाल के सच्चे भक्त बनिए ।
यदि आप भोजन चाहते है तो पहले परिश्रम करके पसीना बहाइए । यदि आप स्वशासन चाहते हैं तो पहले अपने ऊपर शासन व संयम करना सीखिए । यदि आप अपने आपको किसी वस्तु के पाने के योग्य बनाना चाहते हैं तो दूसरों की सेवा करना सीखिए ।
किसी चीज़ को नष्ट न करना मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत रहा है । मैंने हमेशा पुरुषों और स्त्रियों , बूढों और नौजवानों सबको समान रूप से यह परामर्श दिया है कि वे हमेशा ध्यान रखें कि वे अपना समय , अपनी शक्ति , अपने विचार , अपना धन , अपने खाने की चीज और वस्त्र अर्थात् जो कुछ उनके पास हो उसे नष्ट न होने दें ताकि जरूरत के समय उनको उसकी कमी महसूस न हो । मेरा यह भी विचार है कि किसी चीज़ का नष्ट करना पाप से कुछ कम नहीं है ।
जो संगत अपने काम में आगे बढ़ना चाहती है उसे अपने उद्देश्य , विचार एवं क्रिया में एक होना चाहिए ।उसे यह भी चाहिए कि अपने कार्यकर्ताओं , धन और सामान से संबंधित सभी साधनों को सुरक्षित रखे और दूरदर्शिता से काम ले तथा अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए उचित समय के अन्दर इंतजाम करे ।
यह केवल तभी मुमकिन हो सकता है जब उस संगत का हर सदस्य अपनी संगत के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यथाशक्ति ज़ोर लगाए ।
अनुशासन, क़ुरबानी और लगातार सख्त मेहनत इस प्रयास में न सिर्फ सहायक हैं बल्कि निहायत ज़रूरी हैं ।
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