Monday, March 2, 2020

आज 02/02-2020 का दयालबाग में सत्संग





प्रस्तुति - सृष्टि दृष्टि अमी शरण

[02/03, 04:30] +91 94162 65214:

*राधास्वामी!! 02-03-2020                       
 आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ:-                                                                             

   (1) मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। गुन गाऊँ उनका सार।। मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। किया में अलख अगम को पार।।(सारबचन-शब्द-दूसरा,पृ. न. 44)                                                                              (2) सुरतिया भाग भरी। आज गुरु दरशन रस लेत।। (प्रेमबानी-2,शब्द-80,पृ.न. 198)                                           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*

[02/03, 14:40] +91 94162 65214:

**राधास्वामी!! 02-03-2020 

  आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-                                 
  (1) चहुँ दिस धूम मची, सतगुरु अब आये, जग जीव जगाये, उन लिया अपनाई रे। राधास्वामी ३,प्यारे राधास्वामी रे।।(प्रेमबानी-3,शब्द-4,पृ.न.184)                                                         
   (2)  सेवक सुन पहिचान मगध होय बोला ऐसे। सर्व गुनन भंडार कहे कोई गुन तुम कैसे।।(प्रेमबिलास-शब्द-75,पृ.न. 106)                                                                                   
   (3)  सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा।।                             
           🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

[02/03, 14:42] +91 94162 65214:
*
राधास्वामी!!                                             

02- 3 -2020 :-     

                              
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन

 -कल से आगे

-बचन न.73 का भाग:

- इसके अलावा गौर करना चाहिए कि अगर सजा सिर्फ सृष्टि नियमों से वाकिफ लोगों ही को दी जाए तो इसके यह मानी होंगे कि आइंदा आग किसी बच्चे को न जलावे जो सृष्टिनियमों से नावाकिफ है और चूँकि जब तक किसी बच्चे को जलने का तजरूबा नही हो जाता उसे समझ ही नही आती कि जलना क्या होता है इसलिए नतीजा यह होगा कि रफ्ता-रफ्ता आग से जलने का अमल कतई छूट जाएगा और चूँकि दुनिया का यह जड मसाला भी अज्ञानता के कारण जलने से सुरक्षित रखना होगा । इसलिए एक दिन दुनिया से जलने का अमल ही उठ जावेगा और इसी तरह सृष्टि के दूसरे सभी काम बंद करने होंगे, जो सरासर लग्व है। बरखिलाफ इसके इस वक्त का इंतजाम यह है कि सृष्टिनियम अपना काम करते हैं, जो उनसे जानकार होकर काम लेता है उसकी वे पूरे तौर सेवा करते हैं, और जो किसी वजह से उनका उल्लंघन करता है उसको बिना किसी रु व रियायत के नुकसान पहुंचाते हैं और अटल रहते हैं, और इस स्वभाव ही की वजह से वे नियम कहलाते हैं और दुनिया के सब इल्म और खुद दुनिया का वजूद कायम है।            🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 (सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा)*




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