प्रस्तुति - कृष्ण मेहता
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_ब्रह्मा जी से क्यों हो गई थी इतनी बड़ी गलती?_*
श्रष्टि के रचयता के रुप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को पूजा जाता है। यह तीनों देवता संपूर्ण न सृष्टि को बनाने, पालने और इसके विनाश के लिए उत्तरदाई माने जाते है। भगवान विष्णु मानव जाति के पालन हार के रुप में, ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना के रुप में और भगवान शिव सृष्टि में पाप बढ़ जाने पर विनाश के लिए जाने जाते है। सृष्टि की रचना के दौरान भगवान ब्रह्मा जी को शिव ने श्राप दिया था। यह श्राप इस कारण दिया था क्योंकि ब्रह्मा जी द्वारा किये गये एक काम के भगवान शिव सहन नही कर पाये थे।
शिव महापुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार जब सृष्टि की रचना करने का समय आया तो त्रिदेवों ( ब्रह्मा, विष्णु, महेश) ने अपने कार्यों को बांट लिया। ब्रह्मा जी पर मानव जाति की रचना करने की जिम्मेदारी आ गई और इतनी बड़ी सृष्टि के निर्माण के लिए ब्रह्मा जी को किसी की सहायता की जरुरती पडी, जिससे ब्रह्मा जी ने सतरुपा नाम की एक सुन्दर कन्या की उत्पत्ति की। वह कन्या इतनी सुन्दर थी कि कोई भी उसे देखकर मोहित हो जाता, क्योंकि उसके चेहरे पर इतना तेज था कि बड़े से बड़ा संयासी भी उसकी ओर आकर्षित हुए बिना नही रह सकता था।
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उसके रुप को देखकर ब्रह्मा जी भी उसपर मोहित हो गये और कुछ पल के लिए वह सब कुछ भूलकर सतरुपा को ही निहारते रह गये। भगवान ब्रह्मा जी कि दृष्टि को भांपते हुए शिव जी को देर न लगी और उन्हें समझाना चाहते थे परंतु ब्रह्मा जी ने सभी के सामने सतरुप से विवाह करने की इच्छा प्रकट कर दी। उनके मुख से ऐसी बिना अर्थ वाली बात सुनकर वहां उपास्थिति सभी देवगण हैरान हो गये और वहीं दूसरी ओर भगवान शिव क्रोधित हो उठे उन्होंने ब्रह्मा जी को समझाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह मानने को तैयार नही थे।
तब शिव जी ने कहा हे! देव इस कन्या की रचना स्वयं आपने अपने हाथों से की है, इसलिए यह कन्या आपकी पुत्री के सामान है और सत्तरुपा आपका ही अंश है। आपको आपनी पुत्री के लिए ऐसी आशोभनीय बात नही कहनी चाहिए। यह बात सुनकर ब्रहा जी क्रोध से भर गये और भगवान शिव को अपशब्द कहने शुरु कर दिये तभी यह सुनकर शिव जी के क्रोध का ठिकाना नही रहा और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया तथा कहा कि आपने अपनी पुत्री के विषय में ऐसी बात कहकर पिता-पुत्री के रिश्ते का अपमान किया है, इसलिए आप पुजने के योग्य नही है। आज से आपकी पूजा न के बराबर होगी, संपूर्ण दुनिया में आपका नाम मात्र ही शेष रह जायेगा। शिव जी के मुख से ऐसे कटु वजन सुनकर ब्रह्मा ने शिव सहित सभी देवगणों से माफी मांगी परंतु शिव के श्राप ने अपना प्रभाव दिखा दिया था और आप सभी ने भी इस बात का ध्या दिया होगा कि ब्रह्मा जी को अन्य देवताओं की तुलना में कम ही पूजा जाता है। यही ब्रह्मा जी की सबसे बड़ी भूल (गलती) थी जिसे आज तक उसका खामियाजा भुगत रहे है।
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