प्रस्तुति - अनिल कुमार चंचल /स्वामी शरण
1.🎵🎤
*संगीतोपचार* 🎹🎺
2. *नाभि का खिसकना दूर करेंगे यह रामबाण घरेलु उपचार ।*
संगीत द्वारा बहुत सी बीमारियों का उपचार किया जाने लगा है। चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं कि प्रतिदिन २० मिनट *अपनी पसंद का संगीत सुनने से बहुत से रोगों से दूर रह सकते है।* जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता हैं उसी प्रकार संगीत के हर सुर व राग का संबंध किसी ना किसी ग्रह से अवश्य होता हैं। यदि किसी जातक को किसी ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबन्धित राग, सुर अथवा गीत सुनाये जायें तो जातक शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता हैं| यहाँ इसी विषय को आधार बनाकर ऐसे बहुत से रोगों पर उपचार करने वाले रागों के विषय मे जानकारी देने का प्रयास किया गया है| जिन शास्त्रीय रागों का उल्लेख किया गया है उन रागों मे *कोई भी गीत, भजन या वाद्य यंत्र बजा कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।*
यहाँ उनसे संबन्धित चलचित्रों के गीतों के उदाहरण देने का प्रयास भी किया गया है।
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*१) हृदय रोग* –
इस रोग मे राग दरबारी व राग सारंग से संबन्धित संगीत सुनना लाभदायक है। इनसे संबन्धित चलचित्रों के गीत निम्न हैं-
* तोरा मन दर्पण कहलाए (काजल),
* राधिके तूने बंसरी चुराई (बेटी बेटे ),
* झनक झनक तोरी बाजे पायलिया ( मेरे हुज़ूर ),
* बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम (साजन),
* जादूगर सइयां छोड़ मोरी (फाल्गुन),
* ओ दुनिया के रखवाले (बैजू बावरा ),
* मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये (मुगले आजम )
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*२) अनिद्रा* –
यह रोग हमारे जीवन मे होने वाले सबसे साधारण रोगों में से एक है। इस रोग के होने पर राग भैरवी व राग सोहनी सुनना लाभकारी होता है, जिनके प्रमुख गीत इस प्रकार हैं -
* रात भर उनकी याद आती रही (गमन),
* नाचे मन मोरा (कोहिनूर),
* मीठे बोल बोले बोले पायलिया (सितारा),
* तू गंगा की मौज मैं यमुना (बैजु बावरा),
* ऋतु बसंत आई पवन (झनक झनक पायल बाजे),
* सावरे सावरे (अनुराधा),
* चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम),
* छम छम बजे रे पायलिया (घूँघट ),
* झूमती चली हवा (संगीत सम्राट तानसेन ),
* कुहू कुहू बोले कोयलिया (सुवर्ण सुंदरी )
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*३) एसिडिटी* –
इस रोग के होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता है | इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार हैं
* ओ रब्बा कोई तो बताए प्यार (संगीत),
* आयो कहाँ से घनश्याम (बुड्ढा मिल गया),
* छूकर मेरे मन को (याराना),
* कैसे बीते दिन कैसे बीती रतिया (अनुराधा),
* तकदीर का फसाना गाकर किसे सुनाये ( सेहरा ),
* रहते थे कभी जिनके दिल मे (ममता ),
* हमने तुमसे प्यार किया हैं इतना (दूल्हा दुल्हन ),
* तुम कमसिन हो नादां हो (आई मिलन की बेला)
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*४) दुर्बलता* –
यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित है| इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम कर पाने मे स्वयं को असमर्थ अनुभव करता है। इस रोग के होने पर राग जयजयवंती सुनना या गाना लाभदायक होता है। इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं -
* मनमोहना बड़े झूठे (सीमा),
* बैरन नींद ना आए (चाचा ज़िंदाबाद),
* मोहब्बत की राहों मे चलना संभलके (उड़न खटोला ),
* साज हो तुम आवाज़ हूँ मैं (चन्द्रगुप्त ),
* ज़िंदगी आज मेरे नाम से शर्माती हैं (दिल दिया दर्द लिया ),
* तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना (बीस साल बाद )
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*५)स्मरण* –
जिन लोगों का स्मरण क्षीण हो रहा हो, उन्हे राग शिवरंजनी सुनने से लाभ मिलता है | इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से है -
* ना किसी की आँख का नूर हूँ (लालकिला),
* मेरे नैना (मेहेबूबा),
* दिल के झरोखे मे तुझको (ब्रह्मचारी),
* ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम (संगम ),
* जीता था जिसके (दिलवाले),
* जाने कहाँ गए वो दिन (मेरा नाम जोकर )
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*६) रक्त की कमी* –
इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का मुख निस्तेज व सूखा सा रहता है। स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन होता है। ऐसे में राग पीलू से संबन्धित गीत सुनें -
* आज सोचा तो आँसू भर आए (हँसते जख्म),
* नदिया किनारे (अभिमान),
* खाली हाथ शाम आई है (इजाजत),
* तेरे बिन सूने नयन हमारे (लता रफी),
* मैंने रंग ली आज चुनरिया (दुल्हन एक रात की),
* मोरे सैयाजी उतरेंगे पार (उड़न खटोला),
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*७)मनोरोग अथवा अवसाद*
इस रोग मे राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता है। इन रागों के प्रमुख गीत इस प्रकार से है -
* तुझे देने को मेरे पास कुछ नही (कुदरत नई), * तेरे प्यार मे दिलदार (मेरे महबूब),
* पिया बावरी (खूबसूरत पुरानी),
* दिल जो ना कह सका (भीगी रात),
* तुम तो प्यार हो (सेहरा),
* मेरे सुर और तेरे गीत (गूंज उठी शहनाई ),
* मतवारी नार ठुमक ठुमक चली जाये मोहे (आम्रपाली),
* सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले (चित्रलेखा)
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*८)रक्तचाप* -
ऊंचे रक्तचाप मे धीमी गति और निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता है। शास्त्रीय रागों मे राग भूपाली को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता है। ऊंचे रक्तचाप मे -
* चल उडजा रे पंछी कि अब ये देश (भाभी),
* ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ ),
* चलो दिलदार चलो (पाकीजा ),
* नीले गगन के तले (हमराज़)
जैसे गीत व निम्न रक्तचाप मे
* ओ नींद ना मुझको आए (पोस्ट बॉक्स न. 909),
* बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना (जिस देश मे गंगा बहती हैं ),
* जहां डाल डाल पर ( सिकंदरे आजम ),
* पंख होते तो उड़ आती रे (सेहरा )
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*९)अस्थमा* –
इस रोग मे आस्था तथा भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ होता है। राग मालकँस व राग ललित से संबन्धित गीत इस रोग मे सुने जा सकते हैं। जिनमें प्रमुख गीत निम्न हैं -
* तू छुपी हैं कहाँ (नवरंग),
* तू है मेरा प्रेम देवता (कल्पना),
* एक शहँशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल (लीडर),
* मन तड़पत हरी दर्शन को आज (बैजू बावरा ),
*आधा है चंद्रमा ( नवरंग)
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*१०) शिरोवेदना* –
इस रोग के होने पर राग भैरव सुनना लाभदायक होता है। इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार हैं -
* मोहे भूल गए सावरियाँ (बैजू बावरा),
* राम तेरी गंगा मैली (शीर्षक),
* पूंछों ना कैसे मैंने रैन बिताई (तेरी सूरत मेरी आँखें)
*संगीत से जीवन सुरीला और सुमधुर बनता है*
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*नाभि का खिसकना दूर करेंगे यह रामबाण घरेलु उपचार ।*
परिचय :🏵️🏵️
नाभि का खिसकना(nabhi ka khisakna) जिसे आम लोगों की भाषा में धरण(dharan) गिरना या फिर गोला खिसकना भी कहते हैं। यह एक ऐसी परेशानी है जिसकी वजह से पेट में दर्द होता है। रोगी को समझ में भी नहीं आता कि ये दर्द किस वजह से हो रहा है, पेट दर्द की दवा लेने के बाद भी यह दर्द खत्म नहीं होता। और केवल दर्द ही नहीं, कई बार नाभि खिसकने से दस्त भी लग जाते हैं।आइये जाने 🍁
कारण :🌷
वैसे तो ये परेशानी किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर नाभि खिसकने (nabhi ka khisakna)की परेशानी महिलाओं में सबसे अधिक पाई गई है।हर दूसरी महिला को ये परेशानी होना आम पाया गया है, लेकिन ये परेशानी क्यूं होती हैं और किन परिस्थितियों में जन्म लेती है, इसके भी अनेक कारण हैं।
★🌺 योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है। इसलिए किसी भी नाड़ी के अस्वस्थ होने से इसका कुछ प्रतिशत असर नाभिस्थान पर जरूर होता है।
★🌺 आधुनिक जीवन-शैली एक वजह :दरअसल आधुनिक जीवन-शैली के चलते लोग अपने शरीर को धीरे-धीरे अस्वस्थ बना रहे हैं। रोजाना की भागदौड़ में वे समय से आहार नहीं लेते, कसरत कभी नहीं करते और यहां तक कि पूरी नींद भी नहीं लेते। ऐसा करने से धीरे-धीरे शारीरिक नाड़ियां कमज़ोर पड़ने लगती हैं, जिसका सीधा असर नाभिस्थान पर होता है। और महिलाओं में ये स्थान काफी कमज़ोर हो जाता है, उनकी नाभि बहुत जल्दी अव्यवस्थित हो जाती है।
★🌺 अन्य कारण : लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसे कारण हैं जहां ना चाहते हुए भी हम नाभि खिसकने का शिकार हो जाते हैं। जैसे कि खेलते-कूदते समय भी नाभि खिसक जाती है। असावधानी से दाएं-बाएं झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है।🌷
इसे भी पढ़े🌷 : आसान उपायों से ठीक हो जाएगी नाभि खिसकने की परेशानी |
कैसे पहचानें नाभि का खिसकना ,🌾
🌹कैसे पहचानें कि नाभि ही अपने स्थान से खिसक गई है। क्योंकि पेट दर्द होना आम बात है, कुछ गलत आहार लेने से या फिर अन्य समस्याओं से भी पेट दर्द हो सकता है। इसके अलावा दस्त लगना भी कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। किंतु ये कैसे पहचाना जाए कि किसी व्यक्ति विशेष की परेशानी का कारण नाभि खिसकना ही है।
कुछ खास तरीके🌺 :
पहला तरीका 🌷:-
इसकी पहचान एक लिए कुछ खास तरीके बताए गए हैं। सबसे आसान तरीका है लेटकर नाभि को दबाकर जांच करना।
★🌼 रोगी को शवासन यानि कि बिलकुल सपाट लिटाकर, उसकी नाभि को हाथ की चारों अंगुलियों से दबाएं।
★ 🏵️यदि नाभि के ठीक बिलकुल नीचे कोई धड़कन महसूस हो तो इसका मतलब है कि नाभि अपने स्थान पर ही है।
🌹★ लेकिन यही धड़कन यदि नाभि के नीच ना होकर कहीं आसपास महसूस हो रही हो, तो समझ जाएं कि नाभि अपनी जगह पर नहीं है।
दूसरा तरीका :-🌺
धरण गिरी है या नहीं इसे पहचानने का एक और तरीका है जो काफी प्रचलित भी है।
🌹★ इसके लिए रोगी के दोनों हाथों की रेखाएं मिला कर छोटी अंगुली की लम्बाई चेक करें, दोनों अंगुलियों की रेखाएं बिलकुल बराबर रखें। ★ यदि मिलाने पर अंत में दोनों अंगुलियों की लंबाई में थोड़ा सा भी अंतर दिखे, तो इसका मतलब है कि धरण गिरी हुई है।
इन दो🌻 तरीकों से आसानी से नाभि खिसकने की पुष्टि की जा सकती है। अब यदि रोगी की परेशानी का कारण जान लेने के बाद, उसका निवारण भी जानना आवश्यक है। इसके लिए हम यहां कुछ उपाय बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से बिना किसी दवा के नाभि अपने स्थान पर वापस आ जाएगी। आइये जाने
औषधियों से उपचार :-🥀
1. सरसों🌹 :
★🌹 सरसों के तेल को नाभि पर लगाने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है। रोग के बढ़ने पर रूई का फोया तेल में भिगोकर नाभि पर रखें।
🌼★ नाभि के जगह से हट जाने से अक्सर पेट में दर्द, गैस, दस्त, भूख न लगना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं। नाभि पर कोई भी तेल खासकर सरसों का तेल लगाने से लाभ होता है। तेज दर्द होने पर रूई में तेल लगाकर नाभि पर रखने से नाभि का दर्द समाप्त हो जाता है।
2. सौंफ :🥀
★ 🌹गुड़ और सौंफ 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से नाभि का टलना ठीक होता है और तेज दर्द में आराम मिलता है।
★ 🏵️2 चम्मच सौंफ को पीसकर गुड में मिलाकर प्रतिदिन लगातार 5 दिनों तक लेने से नाभि का हटना ठीक होता है।
3. दही :🌺 500 ग्राम दही में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी को मिलाकर खाने से नाभि अपने स्थान से नहीं हटता है।
4. गुड़ :🌼 थोड़ा सा गुड़ में नमक मिलाकर नाभि बैठाने के बाद खाने से अपने नाभि दर्द में जल्द आराम मिलता है।
अन्य उपाय :-🌸
★🌹 नाभि खिसक गई है या नहीं, यह हमारे पांव की मदद से भी जाना जा सकता है। इसके लिए पीठ के बल लेट जाएं, दोनों पैरों को 10 डिग्री एंगल पर जोड़ें। ऐसा करने पर यदि आपको दोनों पैर की लंबाई में अंतर दिखे, यानि कि एक पांव दूसरे से बड़ा है तो यकीनन नाभि टली हुई हैं।
★🍂 अब पुष्टि होने पर इसे ठीक करने के लिए छोटे पैर की टांग को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। इसे कुछ-कुछ इंच तक धीरे से ही ऊपर की ओर उठाएं, तकरीबन 9 इंच की ऊंचाई पर आने के बाद फिर धीरे-धीरे नीचे रखकर लंबी सांस लें। यही क्रिया दो बार और करें। इस क्रिया को सुबह शाम ख़ाली पेट करना है, इससे नाभि अपने स्थान पर आ जाती है।
सावधानी 🌹:
★,🥀 यह नाभि यदि अपनी सही जगह पर आने की बजाय कहीं और खिसक गई तो बड़ा रोग हो सकता है। ऊपर की ओर खिसकने से सांस की दिक्कत हो जाती है, लीवर की ओर चले जाने से वह खराब हो जाता है। यदि नाभि पेट के बिलकुल मध्य में आ जाए तो मोटापा हो जाता है। इसलिए इससे अनजाने में छेड़खानी करने की कभी ना सोचें।
★ 🍁एक और आखिरी बात, जिसका खास ख्याल रखने की जरूरत है। जब पता चल जाए कि नाभि खिसकने जैसी दिक्कत हो गई है, तो कुछ बातों का परहेज करना चाहिए। जैसे कि गलती से भी भारी वजन ना उठाएं। यदि मजबूरी में उठाना भी पड़े तो उसे झटके से ना उठाएं।
1.पथरी का इलाज घरेलू नुस्खे से करना हो तो पथरचट्टा का 1 पत्ता और 4 दाने मिश्री पीस कर 1 गिलास पानी के साथ खाली पेट पिए।
2. 2 ग्राम मिश्री, 1 ग्राम सूखा धनिया और 1 ग्राम सरपगंधा पीस कर पानी के साथ लेने से हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है।
3. अगर आप को शूगर बढ़ने की बीमारी है तो सुबह सुबह खाली पेट करेले का जूस पिये। जूस बनाने से पहले करेले के बीज निकाल दे। जूस निकलने के बाद इसमें थोड़ा पानी मिलाये और पिये। इस उपाय को 2 महीने तक लगातार करे आपकी शूगर कंट्रोल में रहेगी।
4. शरीर में खून की कमी पूरी करने के लिये 1 गिलास मीठे दूध में 5 ग्राम बेलगिरी चूरन मिला कर पिये। कुछ दिन लगातार इस उपाय को करने से खून की कमी दूर होने लगती है।
5. खूनी बवासीर के इलाज में खून को रोकने के लिए 10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल को घर में बनाया हुआ ताज़ा मक्खन के साथ खाये। इस के निरंतर प्रयोग करने से बवासीर में खून का निकलना बंद हो जाता है।
6. सर्दी जुकाम की समस्या में नाक बंद होने लगे तो थोड़ी सी अज्वाइन पीस कर किसी पतले कपड़े में बाँध ले और थोड़ी थोड़ी देर में इसे सूंघे, इससे नाक खुल जाएगी। जाने सर्दी जुकाम के इलाज के देसी नुस्खे कैसे करे।
7. अगर किसी को लकवे का अटैक पड़े तो तुरंत 50 से 100 ग्राम तिल का तेल गुनगुना कर के पिला दे और कच्चा लहसुन चबाने को दे।
8. मसूड़ों में दर्द, दाँत दर्द और सूजन की समस्या का उपचार करने के लिए 1 ग्लास पानी में 3 से 4 पत्ते अमरूद के उबाल ले और हल्का गुनगुना होने पर छान ले। अब इस पानी से थोड़ा नमक मिला कर कुल्ला करे, दांतों और मसूड़ों के दर्द से छुटकारा मिलेगा।
9. 1 गिलास पानी में थोड़ी सी गिलोय और 5 से 6 तुलसी के पत्ते डाल कर उबाल ले और काढ़ा बना कर पिये। इस काढ़े मे पपीते के 3 से 4 पत्तों का रस मिला कर पीने से प्लेट्लेट की मात्रा तेजी से बढ़ती है। ये आयुर्वेदिक दवा स्वाइन फ़्लू, डेंगू और चिकनगुनिया मे रामबाण उपचार का काम करती है।
10. चेहरे पर दाग धब्बे और झुर्रियां हो तो थोड़े से बेसन में थोड़ी सी मलाई और 2 चम्मच नींबू का रस डाल कर अच्छे से मिला ले। अब इस मिश्रण को आधे घंटे के लिये चेहरे पर लगा कर रखे फिर धो ले। इस gharelu upay से चेहरे की खुश्की दूर होती है, झुर्रियां सॉफ होती है और चेहरे पर चमक आती है।
11. सर्दियों में होने वाले रोगों से बचने और स्वस्थ रहने के लिए जरुरी है की खान पान का ध्यान रखा जाये। सर्दियों के मौसम में काली मिर्च, अदरक, लहसुन, तिल, केसर और गुड जैसी चीज़े खाना चाहिये। ठण्ड में विटामिन सी के लिए संतरा, अमरुद और नींबू का सेवन करे।
12. गले में टॉन्सिल और छाले होने पर आधा लीटर पानी में 20 ग्राम मेथी दाना डाल कर धीमी आँच पर पकाए और पानी को अच्छी तरह उबलने दे। पानी ठंडा होने पर इसे छान ले फिर इस में नमक डाल कर 5 से 10 मिनट तक गरारे करे। इस उपाय को दिन में 2 – 3 बार करने पर टॉन्सिल्स से होने वाला दर्द कम होने लगेगा।
13. जब छोटे बच्चों के दाँत निकलते है तब उन्हें काफ़ी पीड़ा होती है। इसके इलावा उल्टी – दस्त और बुखार जैसी परेशानियां भी होती है। ऐसे में बच्चों को संतरे का रस देने से उनकी बैचेनी दूर होती है और पाचन शक्ति बढ़ती है। एक बार में 2 चम्मच रस ही दे और दिन में कम से कम 3 बार आप बच्चे को संतरे का रस पिलाये।
14. झड़ते बालों को रोकने के लिए दही का इस्तेमाल बहुत असरदार है। दही से बालो को जरुरी पोषण मिलता है। बालों पर दही लगाने के आधे घंटे बाद धो ले। अगर आपके बाल जादा झड़ते हो तो हफ्ते में 2 से 3 बार इस उपाय को करे, इससे बालों को मजबूती मिलेगी और बाल सुंदर दिखने लगेंगे।
15. काली मिर्च, अजवाईन, नमक लहौरी, जीरा, सोंठ, धनिया, मोटी इलायची, पुदीना, काला नमक और नौसेदार। ये सब 10 – 10 ग्राम की मात्रा में ले और 3 ग्राम लौंग ले। इन सब को मिला कर बारीक पीस कर चूरण बना ले। अब रोजाना 3 ग्राम चूरण पानी के साथ लेने से पेट का दर्द और पेट की गैस का ilaj होता है। खाना ठीक से हज़म करने में भी ये आयुर्वेदिक उपाय काफी फायदेमंद है।
16. गंजापन से छुटकारा पाना मतलब नए बाल उगाना और पुराने बालों का गिरना रोकना। इसके लिए 5 चम्मच दही में 1 चम्मच नंबू का रस और 2 चम्मच काले चने का पाउडर मिला कर सिर पर लगाये और 1 घंटे बाद धो ले। इस देसी नुस्खे को हफ्ते में 2 से 3 बार करे।
17. घुटनों और जोड़ों के दर्द का इलाज करने के लिए अश्वगंधा, शतावरी का चूरन और आमलकी को अच्छे से मिला ले और रोजाना सुबह पानी के साथ ले। इससे दर्द ठीक होगा और जोड़ों को मजबूती मिलेगी। अगर गठिया की शिकायत हो तो इस उपाय से वो भी ठीक होता है। लहसुन के तेल में अजवाइन और हींग मिला कर पका ले और जोड़ो की मालिश करे तो जोड़ों और घुटनों का दर्द दूर होता है।
जाने जोडों और घुटनों के दर्द का इलाज के देसी नुस्खे
18. दिल की बिमारियों का उपचार घरेलू नुस्खे से करने के लिए 20 ग्राम गाजर का रस और 40 ग्राम आंवले का रस मिला कर पिये। इस उपाय से ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
19. अगर किसी को आधे सिर दर्द (माइग्रेन) की बीमारी हो तो सिर के जिस हिस्से में दर्द जादा हो उस तरफ की नाक में गाय का शूध देसी घी डालें। जाने सिर दर्द का इलाज के नुस्खे।
20. लीवर की सूजन और कमज़ोरी दूर करने के लिये हर रोज सुबह शाम 1 गिलास पानी में 1 चमचा शहद और 1 चम्मच सेब का सिरका मिला कर पियें। लिवर को ताक़त देने और गर्मी दूर करने का ये रामबाण उपाय है।
21. चेहरे से पिंपल्स और कील मुंहासे हटाने की लिए नीम के पत्तों को पानी में उबाल कर इस पानी से चेहरे को धोएं। पत्तों को पीस कर एक लेप बना ले और चेहरे पर लगाये।
22. गुर्दे (किड्नी) के रोगों से बचने और इलाज करने के लिए हर एक घंटे में पानी पिने की आदत डाले। पानी पीने से किड्नी में मौजूद विषैले पदार्थ पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकलते है। नींबू पानी पीने से भी फायदा मिलता है, इससे शरीर को विटामिने सी मिलेगा।
23. अगर आप अपने अधिक खाने की आदतों से परेशान है और भूख कम करने के लिए दादी माँ के नुस्खे अपनाना चाहते है तो खाने में काली और हरी मिर्च का सेवन करे। मिर्च से भूख कम लगती है और मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
24. नपुंसकता हो या मर्दाना कमज़ोरी, इसका इलाज आयुर्वेदिक तरीके से करने के लिए 1 चम्मच आंवला चूरण और 1 चम्मच शहद में 2 चम्मच आंवले का रस मिलायें और दिन में 2 बार इसका सेवन करे। इस नुस्खे से यौन शक्ति बढ़ती है और नपुंसकता का इलाज होता है।
25. कब्ज़ खोलने के लिए दही में ईसबगोल की भूसी मिला कर खाये। पत्ता गोभी का जूस और पालक का जूस कब्ज़ का इलाज करने में असरदार है।
26. किसी को बुखार हुआ हो तो पहले बुखार के साथ आने वाले लक्षणों पर ध्यान दे, इससे ये पता चलेगा की ये आम बुखार है या फिर मलेरिया, टाइफाइड, डेंगू या चिकुनगुनिया की वजह से हुआ है। अगर आपको इनमें से किसी बीमारी के लक्षण दिखे तो एक बार किसी डॉक्टर से मिले और टेस्ट करवाये। बुखार किसी भी वजह से हो गिलोय का काढ़ा पिने से आराम मिलता है। जाने घरेलु नुस्खे अपना कर बुखार का इलाज कैसे करे
27. अगर डेंगू के लक्षण दिखे तो इसके उपाय में भी गिलोय का सेवन अच्छा है। जाने डेंगू का उपचार के आयुर्वेदिक नुस्खे क्या है और इनका प्रयोग कैसे करे।
28. खाना खाने के आधा घंटा पहले नमक के साथ अदरक का सेवन करने से भूख बढ़ती है। जाने देसी नुस्खे अपना कर भूख कैसे बढ़ाये।
29. बहुत से लोग अपने दुबले पतले शरीर से परेशान होते है और अपने दुबलेपन से छुटकारा पाने के लिए कोई न कोई उपाय करते रहते है। शरीर का वजन कम हो या जादा इसका प्रमुख कारन है ख़राब पाचन तंत्र। कुछ लोगो को पेट की बीमारियां जैसे कब्ज़, गैस की वजह से भी ये परेशानी होती है। अगर आप अपना वजन बढ़ाना चाहते है तो पहले पेट की बीमारियों का उपचार करे और अपनी पाचन क्रिया को दरुस्त करे। जाने शरीर वजन बढ़ाने के उपाय कैसे करे।
30. अगर आपका वेट अधिक है और अपने पेट की चर्बी और मोटापे से छुटकारा पाना चाहते है तो जाने मोटापा घटने के तरीके।
31. कैंसर के इलाज में हल्दी और गोमूत्र का प्रयोग रामबाण उपाय है, ये कैंसर को सेल्स को नष्ट करते है। आधा कप गोमूत्र और आधा चम्मच हल्दी मिलकर गरम करे और रोगी को चाय के जैसे पिने को कहे। इस उपाय को दिन में 2 बार लगातार 3 महीने तक करने पर आश्चर्यजनक तरीके से फायदा मिलता है।
32. दादी माँ के घरेलू नुस्खे और उपाय पीरियड्स के लिए: मासिक धर्म आने में देरी होना, बाबा बार पीरियड की डेट लेट हो जाना, पीरियड्स के दौरान कमर और पेट में जादा दर्द होना या फिर माहवारी से संबंधित कोई दूसरी समस्या हो इन सबका रामबाण इलाज है हल्दी प्रयोग करना। हल्दी में जो गुण मौजूद होते है वे मासिक स्त्राव को बढ़ाते है। बिना देरी के समय पर मासिक धर्म आये इसके लिए 1/4 चम्मच हल्दी 1 गिलास दूध में मिलाकर पिए।
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