Monday, March 2, 2020

संतोष ही परम सुख है





प्रस्तुति - दिनेश कुमार सिन्हा



*जो मिले, जब मिले और जितना मिले उसी में संतुष्ट रहना आपको स्वयं तो आनंद से भर ही देता है साथ ही साथ दूसरों में भी आपके प्रति सम्मान की भावना का उदय कर देता है।* *भगवान भोलेनाथ के जीवन की यह सीख बड़ी ही अद्भुत है। कभी दूध भी मिला तो प्रसन्न हो गये कभी केवल पानी ही मिला तो भी प्रसन्न हो गये। कभी किसी ने शहद अर्पित किया तो प्रसन्न हो गये और किसी ने धतूरा भी अर्पित किया तो सहर्ष स्वीकार कर लिए। केवल एक विल्व पत्र पर रीझने वाले भगवान भोले नाथ जीव को यह सीख देना चाहते हैं कि जरूरी नहीं कि हर बार उतना ही मिलेगा जितना आपकी इच्छा है। कभी-कभी कम मिलने पर भी अथवा जो मिले, जब मिले और जितना मिले उसी में संतुष्ट रहना तो सीखो।*
        *।। जय सिया राम जी ।।*
          *।। ॐ नमह शिवाय ।।*

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