Monday, March 16, 2020

हुजूर मेहता जी महाराज के बचन





प्रस्तुति - डा. ममता शरण

भाग-2

(67)

            31 अक्टूबर, 1961 को शाम के सतसंग में हुज़ूर साहबजी महाराज के बचनों में से दो बचन (1) 4 सितम्बर, 1920 बचन नम्बर 167 और (2) 13 सितम्बर, 1920 बचन नम्बर 175 पढ़े गये। पहले बचन में ज़िक्र है कि मुसीबत का ज़माना अब शुरू होने वाला है। इसका पूरा असर 30 या 35 साल में ज़रूर होगा।

            दूसरे बचन में ज़िक्र है कि रगड़ और मुसीबत एक बार सतसंगियों पर भी आवेंगी लेकिन मालिक सतसंगियों की मदद करेगा इसलिए उनका बाल बाँका नहीं होगा।

            ऐसे समय सतसंगियों को तीन बातों पर अमल करने से भारी मदद मिलेगी।

            (1) यथाशक्ति सुमिरन, ध्यान, भजन करना।

            (2) आपस में गहरा इत्तिफ़ाक़ और मुहब्बत रखना और मुसीबत में एक दूसरे की मदद करना।

            (3) उस वक़्त पर अगर संत सतगुरु उनके पास मौजूद हों तो उनकी, वरना Majority of Satsangis (सतसंगियों की अक्सरियत) की राय पर अमल करना और अपनी ज़ाती राय को अमल में न लाना।

            इसके बाद हुज़ूर मेहताजी महाराज ने फ़रमाया- इन बचनों में दो बातें क़ाबिले ग़ौर हैं।

            (1) साहबजी महाराज ने प्रथम यह फ़रमाया कि हर एक सतसंगी व ग़ैर सतसंगी के मुँह से यह शब्द ख़ुद ब ख़ुद निकलेंगे कि अगर एक घंटा और हुज़ूर राधास्वामी दयाल हमारी ख़बर नहीं लेंगे, तो हमारा ख़ात्मा हो जावेगा।

            इससे आप अनुमान कर सकते हैं कि हुज़ूर राधास्वामी दयाल के ऊपर कैसी ज़िम्मेदारी का काम आ जाता है।

            (2) देश में भारी संकट आने पर सभी लोग क्या सतसंगी और क्या ग़ैर सतसंगी इस क़दर घबरा जावेंगे कि हर एक के मुख से यही प्रार्थना निकलेगी कि हे मालिक! हमें बचाओ वरना कुछ ही समय में हमारा ख़ात्मा हो जायगा।

            इनके अर्थ यह हैं कि मालिक उस समय देश के सतसंगी और ग़ैर सतसंगी सभी की तरफ़ आकृष्ट होगा और उनकी रक्षा व सँभाल करेगा और मदद करेगा।

            लेकिन ताज्जुब यह है कि जब बचन में यह पढ़ा गया कि हुज़ूर राधास्वामी दयाल सब लोगों की रक्षा करेंगे तो आप सब लोगों ने राधास्वामी के नारे से इस बचन का स्वागत किया लेकिन जब सतसंगियों की रक्षा होने के संबंध में आपके लाज़िमी फ़रायज़ का ज़िक्र आया तो आप सब लोग शान्त रहे और किसी के मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला। इसके मानी यह हैं कि आप लोग ख़ुद अपने कर्त्तव्यों को पूरा नहीं करना चाहते और अपनी रक्षा का सारा भार राधास्वामी दयाल पर डालना चाहते हैं। आप लोगों का यह तरीक़े अमल ग़लत है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि हर शख़्स अपनी ज़िम्मेवारी और कर्त्तव्य को तनदेही से पूरा करे। दूसरे यह कि सब मिल कर अपना सारा प्रबंध करें। तीसरे यह कि सब लोग एक दूसरे को बख़ुशी मदद देने को तैयार रहें। ऐसा करने से आप हुज़ूर राधास्वामी दयाल के काम को हल्का कर सकेंगे और फिर आप लोग उनकी रक्षा व सँभाल से लाभ उठा सकेंगे और वह रक्षा व सँभाल के प्रोग्राम को सहूलियत के साथ अमल में ला सकेंगे।

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